वाटिकन सिटीः बालकन प्रदेश में सन्त पापा की यात्रा यूरोप के लिये सन्देश के साथ आरम्भ
वाटिकन सिटी, 4 जून सन् 2011 (सेदोक): काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें, रोम समयानुसार, शनिवार प्रातः साढ़े नौ बजे, रोम के फ्यूमीचीनो अन्तरराष्ट्रीय
हवाई अड्डे से क्रोएशिया की राजधानी ज़गरेब के लिये रवाना हो गये। क्रोएशिया की दो दिवसीय
यात्रा सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की, इटली से बाहर, 19 वीं अन्तराष्ट्रीय यात्रा है।
कलीसिया के परमाध्यक्ष रूप में सन्त पापा की यह पहली क्रोएशियाई यात्रा है। इससे पूर्व
स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने तीन बार क्रोएशिया की यात्राएँ की थी। शनिवार तथा
रविवार के लिये तय इस यात्रा के दौरान सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें क्रोएशियाई काथलिक
परिवारों के राष्ट्रीय दिवस की अध्यक्षता करेंगे, युवाओं को अपना विशिष्ट सन्देश देंगे
तथा यूरोपीय संघ में शामिल होने के इच्छुक बाल्कन प्रदेश के देशों को अपने रक्तरंजित
अतीत पर चिन्तन का मौका देंगे।
यूरोपीय संघ में शामिल होने की क्रोएशिया
की इच्छा को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें दीर्घकाल से समर्थन देते रहे हैं ताकि इटली तथा
पोलैण्ड के साथ एक और दिग्गज काथलिक देश यूरोपीय गुट में जुड़ जाये। ग़ौरतलब है कि क्रोएशिया
की कुल आबादी 45 लाख है जिनमें 90 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी हैं। यही कारण है कि देश
में सन्त पापा की दो दिवसीय यात्रा को यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिये महत्वपूर्ण माना
जा रहा है। दुर्भाग्यवश, सन्त पापा की यात्रा उस समय हो रही है जब क्रोएशिया के कई लोग
क्रोएशियाई सेनानायक गोल्ड गोटवीना को, युद्ध अपराधों के लिये, हेग की अदालत द्वारा दी
गई सज़ा के कारण यूरोप से रुष्ट हैं। अप्रैल माह में हेग की अदालत ने गोटवीना को सन्
1995 में सर्बियों को क्रोएशिया से भगाने के लिये किये गये सैन्य आक्रमण में युद्ध का
अपराधी घोषित कर 24 वर्षीय कारावास की सज़ा सुनाई थी। क्रोएशिया के लोगों के लिये गोटवीना
उनका उद्धारक है जिसने उन्हें सर्बियों के दमन चक्र से मुक्ति दिलाई थी। इन सबके बावजूद,
हाल में किये सर्वेक्षण के अनुसार पचास प्रतिशत लोग अभी भी यूरोपीय संघ में शामिल होने
के लिये उत्सुक हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक यूरोपीय संघ में जुड़नेवाला अगला देश
क्रोएशिया ही है जो सम्भवतः 2013 तक संघ की सदस्यता प्राप्त कर लेगा। सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने भी इस सदस्यता को समर्थन दिया है ताकि क्रोएशिया के लोग भी यूरोप के विकास
से लाभान्वित होवें तथा एक सबल नैतिक मूल्यों से सम्पन्न राष्ट्र रूप में यूरोप को अपना
योगदान दे सकें। अप्रैल माह में वाटिकन में क्रोएशिया के नवनियुक्त राजदूत का स्वागत
करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा था कि यूरोपीय संघ से जुड़ने पर क्रोएशिया
को अपनी पहचान खोने के बारे में चिन्ता नहीं करनी चाहिये। सम्भवतः इस पंक्ति द्वारा क्रोएशिया
के उन निडर राष्ट्रवादियों तक सन्देश पहुँचाना था जो यूरोपीय संघ में क्रोएशिया के प्रवेश
का विरोध करते रहे हैं। सन्त पापा ने कहा था, "आप अपने इतिहास और अपनी धार्मिक एवं सांस्कृतिक
पहचान के प्रति सम्मान का दावा करने से न डरें।" इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि यूरोप
को उसकी अपनी ख्रीस्तीय धरोहर के बारे में याद दिलाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, "यह
कहना कि यूरोप की ख्रीस्तीय जड़ों का कोई अस्तित्व नहीं यह दिखावा करना है कि मनुष्य
बिना ऑक्सीजन या भोजन के जी सकता है।"
इस विषय में पत्रकारों से वाटिकन के प्रवक्ता
फादर फेदरीको लोमबारदी ने कहा कि उनकी समझ से ऐसा सम्भव है कि सन्त पापा क्रोएशिया की
संस्कृति, उसके ख्रीस्तीय इतिहास, ख्रीस्तीय परम्पराएँ एवं ख्रीस्तीय पहचान के साथ साथ
यूरोपीय संघ में उसकी सदस्यता पर विस्तृत चर्चा करें।