2011-06-04 11:37:28

ज़गरेबः क्रोएशियाई यात्रा का आदर्श वाक्य, क्रोएशियाई कलीसिया की चुनौतियाँ और यूरोप में उसकी भूमिका


ज़गरेब, 4 जून सन् 2011 (ज़ेनित): क्रोएशिया में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की यात्रा का आदर्श वाक्य हैः "ख्रीस्त के संग-संग"। इस बारे में वाटिकन रेडियो से बातचीत में क्रोएशिया के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल जोसफ बोज़ानिक ने बताया कि क्रोएशिया के काथलिक धर्माध्यक्षों ने यह वाक्य इसलिये चुना क्योंकि इसका "संग-संग" शब्द साक्षात्कार की आतुरता और प्रत्येक मानव प्राणी के लिये सहभागिता एवं भागीदारी की इच्छा को अभिव्यक्ति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस शब्द का मानवशास्त्रीय आयाम ख्रीस्त एवं ख्रीस्त की नवीनता में अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँचता है। कार्डिनल महोदय ने कहा कि ख्रीस्त ही वह चट्टान है जिसपर प्रत्येक विश्वासी एवं प्रत्येक ख्रीस्तीय परिवार को अपने घर का निर्माण करना चाहिये ताकि वह जीवन पथ पर दृढ़तापूर्वक अग्रसर होता रहे।

क्रोएशिया की कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों के बारे में वाटिकन रेडियो से कार्डिनल बोज़ानिक ने कहा कि सर्वाधिक गम्भीर चुनौती धर्म के प्रति उदासीनता है। उन्होंने कहा, "धर्म के प्रति उदासीनता क्रोएशियाई समाज में दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है जिसे अधिकतर युवाओं एवं नवीन पीढ़ियों में देखा जा रहा है। कलीसिया परिवारों पर ध्यान केन्द्रित करना ज़रूरी समझती है जो धर्म रहित संस्कृति से प्रभावित है और साथ ही रोज़गारी एवं सामाजिक तथा आर्थिक कठिनाईयों से गुज़र रहे हैं।" कार्डिनल महोदय ने कहा कि परिवारों पर ध्यान देने के साथ साथ कलीसिया नागरिक संस्थाओं एवं प्रशासन में चेतना जागरण का भी काम कर रही है ताकि प्रशासक परिवार के पक्ष में कानून बनाकर उन्हें समर्थन दें। उन्होंने कहा कि परिवार वह इकाई है जिसकी सुरक्षा भावी पीढ़ियों और कलीसिया के भविष्य के लिये भी नितान्त आवश्यक है।

यूरोप में क्रोएशिया की भूमिका पर बोलते हुए कार्डिनल बोज़ानिक ने कहा कि केवल अपनी पहचान, संस्कृति, इतिहास और परम्पराओं का परस्पर ज्ञान एवं सम्मान यूरोपीय लोगों को एक "सामान्य धाम" के निर्माण में सक्षम बना सकेगा। इसके अतिरिक्त, कार्डिनल महोदय ने कहा कि भौगोलिक रूप से क्रोएशिया यूरोपीय महाद्वीप के उस स्थल पर स्थित है जहाँ काथलिक, ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्मों के अनुयायियों का साक्षात्कार होता है इस सन्दर्भ में क्रोएशिया यूरोप में धर्मों एवं लोगों के बीच सम्वाद एवं मैत्री का सेतु बनने के लिये बुलाया गया है।







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