श्री लंकाः 18,000 श्रमिकों पर पुलिस की क्रूर कार्रवाई, काथलिकों ने की कार्रवाई की
निन्दा
श्री लंका, कोलोम्बो, 1 जून सन् 2011 (एशिया न्यूज़): श्रा लंका के काथलिक पुरोहितों
एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं ने, मंगलवार को काटूनयाके नगर में, मुक्त व्यापार क्षेत्र
के हज़ारों श्रमिकों के विरोध प्रदर्शन पर, पुलिस की क्रूर कार्रवाई की कड़ी निन्दा की
है।
प्रदर्शनकारी निजी क्षेत्र के प्रस्तावित पेंशन विधेयक का विरोध कर रहे थे
जिसे वे त्रुटियों से भरा मानते हैं क्योंकि यह श्रमिकों को आजीवन पेंशन की गारंटी नहीं
देता है।
काथलिक पुरोहित फादर रीड शेलटन फर्नानदो ने कहा, "विरोध प्रदर्शन हर
स्वतंत्र नागरिक का अधिकार है," उन्होंने कहा, "जो कुछ भी हुआ उससे यह पता चलता है कि
देश में लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।"
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों
के अनुसार, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की तलाश में कई कारखानों पर आक्रमण किया तथा प्रमुख
प्रवेश द्वारों को बन्द कर दिया ताकि कोई बाहर न निकल पाये। कुछ ही घंटों के बाद, नाकाबंदी
को तोड़ लगभग 18,000 श्रमिक बाहर सड़कों पर आ गये तथा पुलिस से उनकी झड़पें हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों
ने यह भी बताया कि पुलिस ने घायलों को अस्पताल ले जाने से भी रोका।
एक अन्य
काथलिक पुरोहित फादर सरत इदामालगोड, हिंसा भड़कने के समय, छह बौद्ध भिक्षुओं के साथ एक
स्थानीय मंदिर में थे। उनके अनुसार प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिये पुलिस ने आँसू गैस
छोड़ी।
ईसाई राजनीतिक कार्यकर्ता लक्ष्मण रोजा ने कहा, "सरकार शांतिपूर्ण विरोध
प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश कर रही है।" उन्होंने कहा, "यह मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता और मज़दूरों के सुरक्षा अधिकारों का घोर उल्लंघन है।"
अनौपचारिक
स्रोतों के अनुसार तीन लोगों की मौत हो गई है। मेपुरा समाचार पत्र में प्रकाशित किया
गया कि तीन व्यक्तियों के मरने के अतिरिक्त 216 लोग घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाये
गये हैं, इनमें कई व्यक्तियों पर गोली चालन हुआ है।
प्रस्तावित निजी क्षेत्र
पेंशन विधेयक कानून के तहत श्रमिकों को सेवानिवृत्ति के बाद पेँशन का लाभ पेंशन निधि
में पैसे होने पर ही मिल सकेगा।