2011-05-31 12:19:19

मध्यप्रदेश: कलीसियाई स्कूल ने हस्तक्षेप पर जताई आपत्ति


मध्यप्रदेश, 31 मई सन् 2011 (ऊका समाचार): मध्यप्रदेश की कलीसिया का कहना है कि शिक्षण संस्थानों के संचालन में, राज्य सरकार का हस्तक्षेप, उसे, अपने अधिकारों की रक्षा के लिये, उच्च न्यायालय तक जाने पर मजबूर कर रहा है।

भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लियो कोरनेलियो ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह एक नये शिक्षा विधान का दुरुपयोग कर राज्य के ख्रीस्तीय स्कूलों के संचालन में दखल दे रही है।

विगत वर्ष संघीय सरकार ने, छह से 14 साल की उम्र वाले बच्चों के लिये, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने हेतु शिक्षा का अधिकार अधिनियम पेश किया था।

अधिनियम 1 अप्रैल, 2011 को कानून बन गया है तथा जुलाई माह में आरम्भ होनेवाले अकादमी वर्ष से लाग कर दिया जायेगा।

महाधर्माध्यक्ष का कहना है कि अब राज्य सरकार इस विधान का दुरुपयोग ईसाई शिक्षण संस्थानों को परेशान करने के लिये कर रही है। उन्होंने कहा, "जिला शिक्षा अधिकारियों के प्रतिनिधि हमें बता रहे हैं कि किसे प्रवेश देना है और किसे नहीं और साथ ही इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि उन्हें हमारे स्कूलों में नीति निर्धारण तंत्र का हिस्सा बनाया जाये।"

उन्होंने कहा, "यह संविधान के अनुच्छेद 30 तथा उन कई अदालती आदेशों का उल्लंघन है जो अल्पसंख्यक स्कूलों को कार्यात्मक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।"

महाधर्माध्यक्ष कोरनेलियो के अनुसार, अनुच्छेद 30, छात्रों को प्रवेश प्रदान करने, स्कूल स्टाफ एवं कर्मचारियों की नियुक्ति करने, स्टाफ के सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने, एक प्रशासनात्मक निकाय का गठन करने तथा एक उचित शुल्क निर्धारित करने का अधिकार प्रदान करता है।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि मध्य प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के कार्यान्यवयन से सम्बन्धित मार्च माह में जारी राज्य सरकार के परिपत्र में जान बूझकर अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकार पर ध्यान नहीं दिया गया तथा यह दर्शाने की कोशिश की गई कि राज्य सरकार ईसाई स्कूलों का संचालन अपने हाथ में लेना चाहती है।

उन्होंने कहा, "अपने शिक्षण संस्थानों को बचाने के लिये हमें अदालत तक जाने हेतु मजबूर किया जा रहा है।" उन्होंने कहा, "हमारी याचिका राज्य सरकार के परिपत्र को भी चुनौती देगी और इसके कार्यान्वयन पर रोक की मांग करेगी क्योंकि यह गुणकारी शिक्षा उपलब्ध कराने के हमारे अधिकार का उल्लंघन करता है।"

उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी निर्धन बच्चों के 25 प्रतिशत कोटे में आर्थिक रूप से वंचित ईसाइयों को प्रवेश देने का विरोध कर रहे हैं।








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