केरलः सर्वोच्च न्यायालय ने धर्मबहनों के पक्ष में निर्णय दिया
केरल, 24 मई सन् 2011 (कैथन्यूज़): केरल में एक काथलिक स्कूल के प्रबन्धन के लिये संघर्षरत
मदर कारमेल धर्मसंघ की धर्मबहनों के पक्ष में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया
है कि न्यानाराकाल स्थित लिटिल फ्लावर हाई स्कूल पूर्णतः धर्मबहनों के सिपुर्द कर दिया
जाये।
धर्मसंघ की अध्यक्षा सि. जैसी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हमें
बहुत राहत मिली है।" उन्होंने कहा कि न्याय पाने के लिये हमने बहुत संघर्ष किया है जो
अब हमें मिल गया है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने न्यानाराकाल के पल्ली पुरोहित
द्वारा दायर सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए घोषित किया था कि उक्त स्कूल धर्मबहनों का
है।
मदर कारमेल धर्मसंघ की धर्मबहनों ने सन् 1945 ई. में उक्त स्कूल की स्थापना
की थी तथा स्थानीय पल्ली पुरोहित को स्कूल का प्रबन्धक नियुक्त किया था।
हाई
कोर्ट की वकील सि. टीना जोस के अनुसार समस्याएँ सन् 2007 में शुरु हुई जब वर्तमान पल्ली
पुरोहित ने स्कूल के मालिकाना दस्तावेज़ों में हेरा फेरी कर धर्मबहनों को स्कूल से बाहर
निकलने को कहा जिसका धर्मबहनों ने कानूनन विरोध किया।
उन्होंने बताया कि पल्ली
पुरोहित ने कुछेक पल्ली वासियों के साथ मिलकर सन् 2008 में धर्मबहनों की पिटाई भी कराई
तथा स्कूल से बाहर निकलने की धमकियाँ दी। इस घटना के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर धर्मबहनों
को पुलिस की सुरक्षा मिली। सि. टीना के अनुसार अदालत की शरण जाने से महाधर्मप्रान्तीय
अधिकारी भी धर्मबहनों से रुष्ट थे तथा उनकी मदद के लिये तैयार नहीं थे। उन्होंने मुकद्दमा
वापस लेने के लिये धर्मबहनों पर बहुत दबाव डाला किन्तु धर्मबहनें संघर्ष करती रहीं।
शुक्रवार
को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सिरो मलाबार चर्च के प्रवक्ता फादर पौल थेलाकट्ट
ने कहा कि महाधर्मप्रान्त कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है।