नोबेल पुरस्कार के लिये मनोनीत की धन्य घोषणा रविवार को
साल्वादोर दा बाहिया ब्राजील, 21 मई, 2011(ज़ेनित) ब्राजील की सिस्टर डूलचे लोपेस पोनतेस
को रविवार 22 मई को धन्य घोषित किया जायेगा। साव पौलो के स्थानीय समाचार पत्रों
ने सिस्टिर डूलचे के बारे में अनेक समाचार छापे हैं और कार्डिनल जेराल्डो के बयान को
प्रकाशित करते हुए लिखा है कि " प्रत्येक संत येसु मसीह के जीवन का नमूना है और सिस्टर
डल्चे भी उनमें से एक हैं। उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों और पीड़ितों के ले लगा दिया।"
सेवानिवृत्त कार्डिनल जेराल्डो मजेल्ला अन्येलो धन्य घोषणा समारोह में संत पापा का
प्रतिनिधित्व करेंगे। ग़ौरतलब है कि सन् 1988 ईस्वी में सिस्टर डूल्चे को नोबेल
पुरस्कार के लिये मनोनीत किया गया था और धन्य जोन पौल द्वितीय ने दो बार सन् 1980 और
सन् 1991 ईस्वी में सिस्टर डूल्चे से मुलाक़ात की थी। सिस्टर डूल्चे का जन्म सन्
1914 में हुआ था और आजीवन ग़रीबों के कार्य करते हुए उनका देहांत सन् 1992 ईस्वी में
हुआ। सिस्टर डूल्चे को ग़रीबों के लिये अपने पूरे जीवन का समर्पण करने की प्रेरणा बालक
येसु की संत तेरेसा से पायीं। 18 साल की आयु में उन्होंने ‘मिशनरीस सिस्टर्स ऑफ
इम्माकुलेट कोनसेप्शन ऑफ द मदर ऑफ गॉड’ धर्मसमाज में प्रवेश किया था। उनकी धन्य
घोषणा के लिये जिस चमत्कार को श्रेय दिया गया वह था 42 वर्षीय क्लाउडिया क्रिस्तियाने
संतोस की चंगाई । सन् 2001 में जब क्लाउदिया ने एक शिशु को जन्म दिया और अत्यधिक
खून बहने से उनकी हालत मृतप्राय हो गयी थी। डॉक्टरों ने तीन शल्य चिकित्सा के बाद सारी
उम्मीद छोड़ दी थी ऐसे समय में सिस्टर डूल्चे की मध्यस्थता से उनकी चंगाई हुई थी। सिस्टर
डूल्चे कहा करती था " प्रेम सभी बाधाओं और बलिदानों को जीत लेता है। "