बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 18 मई, 2011
रोम, 18 मई, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति
प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम आज धर्मशिक्षामाला में प्रार्थना के बारे में चिन्तन करना जारी
रखते हुए पवित्र बाईबल की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करें।
पवित्र धर्मग्रंथ में
इतिहास में मानव और ईश्वर के बीच हुए वार्तालाप का विवरण है। यही वार्ता बाद में शब्दधारी
येसु बन गयी। हम इसे विश्वासियों के पिता अब्राहम से आरंभ कर सकते हैं।
अब्राहम
ने पाप की जंजीरों में जकड़े शहर सिदोम का विनाश न करने के लिये प्रार्थनायेँ की थी।
अब्राहम की प्रार्थना के प्रति ईश्वर ने न्याय किया और उन्होंने निर्दोषों को बचा लिया।
इससे ईश्वर की दया झलकती है जिसमें ऐसी ताकत है कि यह बुराई को क्षमा और मेलमिलाप
के द्वारा परिवर्तित कर देती है। ईश्वर कभी भी पापी की मृत्यु नहीं पर पश्चत्ताप और पाप
से मुक्ति चाहते है।
ईश्वर ने कहा कि यदि सोदोम में दस भले व्यक्ति मिल जाये
तो वे इसका सर्वनाश नहीं करेंगे। बाद में हम नबी जेरेमियस के द्वारा बतलाते हैं कि यदि
येरूसालेम में एक धर्मी व्यक्ति भी मिल जाये तो वे सबों को माफ़ कर देंगे।
अंत
में ईश्वर ने खुद ही एक भले व्यक्ति के रूप में धरती पर अवतार लिया जिसे हमने येसु मसीह
के रूप में जाना। येसु ने क्रूस पर से दुनिया को बचाने का निवेदन किया और दुनिया को बचाया।
आइये हम पूरे विश्वास से प्रार्थना करें कि ताकि ईश्वर सबों पर अपनी दयादृष्टि दिखाये।
इतना कह कर उन्होंने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने वेनेरेबल इंगलिश
कॉलेज के सदस्यों स्वीडेन में चल रहे कैथोलिक पेन्टेकोस्टल डायलॉग के प्रतिनिधियों, भारत
इंडोनेशिया, श्रीलंका, इंगलैंड, ऑस्ट्रेलिया चीन और अमेरिका के तीर्थयात्रियों और उपस्थित
लोगों पर पुनर्जीवित येसु की खुशी और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद दिया।