2011-05-17 12:08:34

नई दिल्लीः इन्टरनेट निर्देशिका का ख्रीस्तीयों द्वारा विरोध


नई दिल्ली, 17 मई सन् 2011 (ऊका): भारत के ख्रीस्तीयों ने आशंका व्यक्त की है कि भारतीय सरकार द्वारा जारी नये इन्टरनेट निर्देश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुण्ठित कर सकते हैं तथा अल्पसंख्यकों के विरुद्ध इनका दुरुपयोग भी किया जा सकता है।

नये नियमों के तहत वेबसाईटों के लिये यह ज़रूरी कर दिया गया है कि वे अपने उपयोगकर्त्ताओं को, किसी भी प्रकार के निन्दनीय, घृणा उत्तेजित करनेवाले, जातिगत रूप से आपत्तिजनक, पेटेन्ट का उल्लंघन करनेवाले, तथा भारत की एकता एवं सार्वजनिक व्यवस्था को ख़तरे में डालनेवाले साहित्य को प्रकाशित करने से मना करें।

ख्रीस्तीय धर्मानुयायी तथा इन्टरनेट उद्योग से संलग्न लोग उक्त नियमों का विरोध कर रहे हैं। इन्टरनेट उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि उक्त नियम उनपर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेंगे जबकि ख्रीस्तीयों का कहना है कि नियमों की ग़लत व्याख्या कर इनका दुरुपयोग हो सकता है।

सामाजिक संचार अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी राष्ट्रीय संस्थान के निदेशक फादर जूड बोथेलो का कहना है कि निर्देश बिलकुल सामान्य हैं जिनकी तोड़ मरोड़ कर आसानी से मिथ्या व्याख्या की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का उपकरण सिद्ध हो सकते हैं।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की सामाजिक संचार समिति के सचिव फादर जॉर्ज प्लाथोटम ने कहा, "दवा से बीमारी को और अधिक नहीं बढ़ना चाहिये"।

उन्होंने कहा कि हिन्दु चरमपंथी आसानी से यह दावा कर सकते हैं कि ख्रीस्तीय सहित्य का लक्ष्य धर्मान्तरण है तथा उसे इन्टरनेट से निकलवा सकते हैं।












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