स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 15 मई को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण
में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को स्वर्ग की रानी आनन्द मना
प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहाः
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो,
पास्का के चौथे रविवार की पूजनधर्मविधि हमारे सामने सर्वश्रेष्ठ
छवियों में से एक जिसे कलीसिया पहली सदी से ही प्रभु येसु के बारे में प्रस्तुत करती
रही है- भला गड़ेरिया। संत योहन का सुसमाचार 10 वें अध्याय में ख्रीस्त भले गडेरिये और
उनकी रेवड़ के मध्य संबंध की विशिष्टताओं का वर्णन करता है। ऐसा संबंध जो इतना निकट का
है कि भेड़ों को कोई उनके हाथों से चुरा नहीं सकता है। रेवड़ की भेड़, वास्तव में प्रेम
और परस्पर ज्ञान के द्वारा एक दूसरे से जुड़े हैं जो उन्हें अनन्त जीवन रूपी उपहार की
गारंटी देता है। सुसमाचार लेखक ने गड़ेरिये ख्रीस्त के प्रति रेवड़ की मनोवृत्ति को दो
विशिष्ट क्रियाओं में व्यक्त किया है- सुनना और अनुसरण करना। यह उनलोगों की मौलिक विशेषताएँ
हैं जो प्रभु के अनुयायी के सदृश जीवन जीते हैं। सबसे पहले, उनके वचन को सुनने से विश्वास
उत्पन्न होता और पोषण प्राप्त करता है। केवल वे लोग जो प्रभु की वाणी के प्रति सजग हैं
वे अपने अंतःकरण के आधार पर निर्धारित करने में समर्थ हैं कि प्रभु की इच्छा के अनुसार
काम करने के लिए क्या सही चुनाव है। सुनने से, फिर तात्पर्य है- येसु का अनुसरण करना।
जब हम प्रभु की शिक्षा को सुनकर अपना लिये हैं तथा दैनिक जीवन में जीते हैं तब हम शिष्यों
के समान काम करते हैं।
इस रविवार को ईश्वर की कलीसिया के मेषपालों तथा जो लोग
मेषपाल या चरवाहा बनने के लिए प्रशिक्षित किये जा रहे हैं उन्हें याद करना स्वाभाविक
है। मैं आप सबको रोम के धर्माध्यक्ष सहित सब धर्माध्यक्षों के लिए, पल्ली पुरोहितों के
लिए, उन सबलगों के लिए जिनपर ख्रीस्त की रेवड़ की अगुवाई करने का दायित्व है, उनके लिए
विशेष रूप से प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करता हूँ ताकि वे अपने उत्तरदायित्व का
निर्वाह विश्वास और विवेक सहित कर सकें। विशिष्ट रूप से हम बुलाहटों के लिए प्रार्थना
करने के दिवस में पौरोहितिक बुलाहटों के लिए प्रार्थना करें ताकि प्रभु की फसल के लिए
सच्चे मजदूरों की कदापि कमी न हो।
70 वर्ष पहले वंदनीय संत पापा पियुस बारहवें
ने पौरोहितिक बुलाहटों के लिए परमधर्मपीठीय संस्थान की स्थापना की थी। मेरे पूर्वाधिकारी
की अंतदृष्टि इस दृढ़ मान्यता पर आधारित थी कि विशिष्ट कलीसियाओं में ही बुलाहटें स्वस्थ
पारिवारिक पृष्ठभूमि से मदद पाकर तथा विश्वास, उदारता और धार्मिकता की आत्मा से मजबूती
पाकर विकसित होती तथा प्रौढ़ होती हैं। मैंने इस दिवस के लिए मेरे संदेश में जोर दिया
है कि बुलाहट का अनुसरण किया जाता है जब हम आत्म यथार्थकरण के अपने विचार और अपनी इच्छा
को पीछे छोड़ते हैं जो स्वयं में बंद है। हम स्वयं को अन्य की, ईश्वर की इच्छा में समाहित
कर देते हैं, उनके द्वारा स्वयं को निर्देशित होने देते हैं।
इस समय भी जब अन्य
आवाजों के बीच प्रभु की आवाज के खो जाने का खतरा होता है प्रत्येक कलीसियाई समुदाय का
आह्वान किया जाता है कि पौरोहितिक तथा समर्पित जीवन की बुलाहटों की रक्षा और प्रसार करें।
वस्तुतः मानव को हमेशा ईश्वर की जरूरत है। तकनीकियों से भरी हमारी दुनिया में भी ऐसे
गड़ेरियों की जरूरत सदैव रहेगी जो वचन की घोषणा करते तथा संस्कारों के द्वारा प्रभु से
मिलने में हमारी सहायता करते हैं।
प्रिय भाईयो और बहनो, पुनर्जीवित ख्रीस्त में
पास्काई आनन्द और विश्वास से नवीकृत होकर हम हमारे मनोरथों को कुँवारी माता मरियम, हर
बुलाहट की माँ, के सिपुर्द करें ताकि उनकी मध्यस्थता के द्वारा विश्व और कलीसिया में
असंख्य पवित्र बुलाहटों हों और उन्हें समर्थन मिले।
इतना कहने के बाद संत पापा
ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
प्रदान किया।