वाटिकन सिटी, 16 मई, 2011 (सेदोक, वीआर) कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो के साथ बिहार
झारखंड और उड़ीसा के काथलिक धर्माध्यक्षों ने सोमवार 16 मई को अद लिमिना विजिट अर्थात्
धर्माध्यक्षों का पोप के साथ पंचवर्षीय मुलाक़ात कार्यक्रम के तहत् पोप से मुलाक़ात
की। संत पापा ने धर्माध्यक्षों को संबोधित करते हुए कहा कि सुसमाचार प्रचार के लिये
एक ऐसी नाजुक संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का आवश्यकता है जो कलीसिया को प्राप्त दिव्य प्रकाशना
की विशिष्टता और अखंडता को बरक़रार रखती और दूसरी और सुसमाचार को इस बुद्धिमत्ता से
प्रस्तुत करती है कि पाने वाले को यह आकर्षक लगे।
इसलिये संस्कृतिकरण की प्रक्रिया
के लिये पुरोहितों, धर्मसमाजियों और प्रचारकों को चाहिये कि वे उचित भाषा और उपयुक्त
स्थानीय परंपरा का उपयोग बारीकी से करते हुए ईशवचन को लोगों को प्रस्तुत करें।
इसके
लिये यह भी ज़रूरी है कि आप अपनी विश्वसनीयता संवेदनशीलता और सर्जनात्मक क्षमता का उपयोग
करें ताकि आपमें जो आशा है उसे दृढ़तापूर्वक लोगों को बता पायेंगे।
अंतरधार्मिक
वार्ता के बारे बोलते हुए संत पापा ने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है फिर भी इसमें
इस बात को ध्यान दिया जाना चाहिये कि आपसी सम्मान की भावना हो पर समानता की समन्वयता
से बचा जाये।
उन्होंने कहा कि भारतीय ईसाई के रूप में दूसरों के शांति और सौहार्दपूर्ण
संबंध बनाये रखें।
इसके साथ इस बात पर भी ध्यान दें कि उचित नेतृत्व आवश्यक है
ताकि मानव के मूल अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके।
संत पापा
ने धर्माध्यक्षों को अपनी प्रार्थनापूर्ण सहायता का आश्वासन दिया और कहा कि धन्य मदर
तेरेसा को कोलकाता का ख्रीस्त प्रेम से प्रेरित धैर्य उन्हें आशिष दे और उनके मेषपालीय
कार्यों को फलप्रद बनाये।