2011-05-16 15:55:56

सामाजिक सिद्धांतों पर विचार करने के लिये एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन


रोम, 14 मई, 2011 (ज़ेनित) न्याय और शांति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति काथलिक कलीसिया के वैश्वीकरण और अन्याय के संदर्भ में सामाजिक सिद्धांतों पर विचार करने के लिये एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है
शांति एवं न्याय विभाग के सचिव धर्माध्यक्ष मारियो तोसो ने इस सभा के परिणामों के बारे में बोलते हुए कहा कि " हमें आशा है कि इससे कलीसियाई समुदायों, संगठनों और आंदोलनों में विश्व की गंभीर समस्याओं के प्रति एक नयी जागरूकता आयेगी। "
सोमवार 16 से 18 मई तक रोम में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की विषय वस्तु है ‘न्याय और वैश्वीकरणः ‘मातेर एत मजिस्त्रा से कारितास इन वेरिताते तक’। इस सम्मेलन का आयोजन ‘मातेर एत माजिस्रा नामक कलीसियाई दस्तावेज़ के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया गया है।
धर्माध्यक्ष ने बताया कि इससे कलीसियाई सामाजिक सिद्धांत के आधार पर विश्व की समस्याओं पर चिंतन किया जायेगा तथा सर्वहित और न्याय के लिये विभिन्न समस्याओं के समाधान ढूँढ़ने के प्रयास किये जायेंगे।
ज़ेनित समाचार के अनुसार न्याय और शांति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर तुर्कसन, कोंगो के किनशासा के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल लौरेन्ट मोनसेनवो पसीनवा और तेगुचिगालपा के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्कार रोड्रिग्वेज मारादियागा और कारितास के अध्यक्ष सभा के प्रमुख वक्ता होंगे।
धर्माध्यक्ष तोसो ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि ‘मातेर एत माजिस्त्रा द्वारा बताये गये विश्व में व्याप्त असंतुलनों को अब तक उचित ध्यान नहीं दिया गया है और कई समस्यायें और गंभीर हो गयीं हैं।
उन्होंने कहा " इनके अलावा उन असंतुलनों जिसे ‘कारितास इन वेरिताते’ ने इंगित किया था विशेषकरके वैश्वीकरण, पर्यावरण और जीवन रक्षा संबंधी समस्याओं के समाधान पर विचार किये जाने की आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा कि आज इस बात की ज़रूरत है कि कलीसिया इन समस्याओं के प्रति जागरूक हो और सामाजिक क्षेत्र में एक नये सुसमाचार प्रचार के लिये अपने को तैयार करे।
उनका मानना है कि " कलीसिया प्रशिक्षण के लिये समर्पित हो, सामाजिक धर्मशिक्षा पर ध्यान दे और कलीसिया के सामाजिक सिद्धांतों को लागू करे।"
धर्माध्यक्ष तोसो के अनुसार यह महासम्मेलन कलीसिया के सामाजिक सिद्धांतों को लागू करने का एक सुनहरा अवसर है जिसकी ज़रूरत को समझना प्रत्येक व्यक्ति और संस्था द्वारा किया जाना आवश्यक है। "




















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