2011-05-07 20:24:23

" ख्रीस्तीय विश्वास का आधार कोई वस्तु नहीं बल्कि कोई व्यक्ति है " - पोप


वाटिकन सिटी, 7 मई, 2011(ज़ेनित) ख्रीस्तीय विश्वास का आधार कोई वस्तु नहीं बल्कि कोई व्यक्ति है।

उक्त बातें संत पापा बेनदिक्त सोलहवें ने उस समय कहीं जब उन्होंने 19 अप्रैल को संत पापा चुने जाने और 24 अप्रैल को संत पापा के रूप में दायित्व संभालने के 6 वर्ष पूरा होने के अवसर आयोजित एक समारोह में लोगों के संबोधित किया।

संत पापा के सम्मान में संगीत कार्यक्रम का आयोजन इताली राष्ट्रपति जियोरजियो नपोलितानो की ओर से उपहारस्वरूप किया गया था।

इस कार्यक्रम में रोम थियेटर के ऑर्केस्टरा और गायक दल ने संगीत प्रस्तुत किये जिसका संचालन दो निदेशकों मायेस्तरो जेसुस लोपेज़ कोबोस और मायेसतरो रोबेरतो गबियानी के द्वारा किया गया। उन्होंने क्रमशः अंतोनियो विवाल्डी की ‘क्रेदो आर वी 591’ और जियोकिनो रोस्सीनी की " स्ताबत मातेर " प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर बोलते हुए संत पापा ने विश्वास के प्रथम और अंतिम शब्दों ‘विश्वास’ और ‘आमेन’ पर अपने चिन्तन प्रस्तुत किये।

संत पापा ने कहा कि कि मैं विश्वास करता हूँ इसका क्या अर्थ है ? उन्होंने कहा इसका अर्थ हो सकता है कि हम उन बातों को स्वीकार करते हैं जिस पर किसी की आस्था है ताकि किसी पर विश्वास करके हम उस पर यकीन कर सकें। जब हम पंथ या मजहब की बात करते हैं तो इसका अर्थ और ही गहरा होता है।

यह एक ऐसा आत्मविश्वास है जो सत्य के वास्तविक अर्थ को प्रदान करता, हममें कायम रहता है और दुनिया को बनाये रखता है। इसका अर्थ है कि हर चीज़ या प्राणी आधार मानव के द्वारा सृष्ट नहीं किया जा सकता है पर इसे सिर्फ़ ग्रहण किया जा सकता।"

इसलिये " ख्रीस्तीय विश्वास का अर्थ यह नहीं है कि मैं कुछ चीज़ में विश्वास करना पर इसका अर्थ है उन पर विश्वास करना जिसने येसु को हमारे लिये प्रकट किया।"

उन्होंने यह भी कहा कि ‘आमेन’ इब्रानी शब्द है जिसकी जड़ विश्वास के समान है अर्थात् ईश्वर पर निर्भर करना जिसका आधार सुदृढ़ है।

समारोह के अंत में संत पापा ने लोगों को आशिष देते हुए कहा कि संगीत लोगों के विश्वास को मजबूत करे। उन्होंने लोगों से प्रार्थना की अपील की ताकि वे ईश्वर के दाखबारी में अपनी सेवा बखूबी दे सकें।











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