पूजनधर्मविधि पर 9 वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों के लिए संत पापा का संदेश
(वाटिकन सिटी 6 मई वीआर अंग्रेजी) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पूजनधर्मविधि पर सम्पन्न
हो रहे 9 वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों को शुक्रवार को सम्बोधित किय़ा। इसका
आयोजन पोंटिफिकल लिटरजिकल इंस्टीच्यूट सेंट आनसेल्मो द्वारा अपनी स्थापना के 50 वें वर्ष
में किया जा रहा है। वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद के क्लेमेंतीन सभागार नें सम्मेलन
के प्रतिभागियों का अभिवादन करते हुए संत पापा ने सम्मेलन के शीर्षक “the Pontifical
Liturgical Institute Between memory and prophecy." पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने
प्रोफएसी अर्थात नबूवत करना शब्द पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह शब्द का अर्थ नये
क्षितिजों को खोलने के नजरिया है तथा पूजनधर्मविधि या लिटरजी को यदा कदा सुधार की वस्तु
समझा जाता है न कि ऐसा कर्ता जो ख्रीस्तीय जीवन को नवीकृत करने में सक्षम है। संत
पापा ने मेमोरी या याद शब्द के बारे में कहा कि पोंटिफिकल लिटरजिकल इंस्टीच्यूट की स्थापना
के साथ ही पिछले 50 वर्षों में पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मिले प्रचुर फलों का स्मरण
करना महत्वपूर्ण है और इसके लिए हम सब भली चीजों के दाता के प्रति धन्यवादी हों। संत
पापा ने आगे कहा कि येसु के पौरोहितिक मिशन का अभ्यास इंस्टीच्यूट के सदस्यों और अध्यक्ष
के जीवन का अभिन्न अंग है। संत पापा ने कहा कि संत अनसेल्मो इंस्टीच्यूट में दिये जा
रहे प्रशिक्षम के लिए कृतज्ञ हों कि बहुत बडी संख्या में इस संस्थान के स्नातक विश्व
के विभिन्न भागों में कलीसिया को प्रमुख सेवा दे रहे हैं और पूजनधर्मविधि को प्रार्थना
में कलीसिया की अभिव्यक्ति के रूप में जीने के लिए लोगों की सहायता कर रहे हैं। संत
पापा ने यह आशा व्यक्त की कि पवित्र पूजनधर्मविधि का यह विद्यालय समृद्ध और बहुमूल्य
परम्परा के प्रति पूरी निष्ठा तथा वाटिकन द्वितीय महासभा द्वारा इच्छित पूजनधर्मविधि
सुधार के अनुरूप कलीसिया को अपनी सेवा देना जारी रखेगा।