(वाटिकन सिटी 4 मई सीएनएस) परमधर्मपीठीय समाज विज्ञान अकादमी की अध्यक्ष मेरी अनन ग्लेनडन
ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता आर्तिक विसाक सहित समाज के लिए अच्छा है, इस तथ्य को समाज
विज्ञान द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे आंकड़े भी सिद्ध करते हैं। उन्होंने उक्त बातें 29
अप्रैल से 3 मई तक आयोजित अकादमी की बैठक में कहा जो "Universal Rights in a World of
Diversity: The Case of Religious Freedom." शीर्षक से सम्पन्न हुई। समाज और राजनीति
वैज्ञानिकों तथा आर्थिक और कानूनी विशेषज्ञों ने न केवल उन रिपोर्टों को सुना जिसमें
कहा गया कि विश्व के अनेक भागों में धर्म पालन पर लगायी जा रही पाबंदियाँ बढ़ रही हैं
लेकिन अनेक विशेषज्ञ जो पहले समाज में धर्म की भूमिका की उपेक्षा करते थे अब वे भी इसके
द्वारा दिये जा रहे सकारात्मक योगदान को देख और लिख रहे हैं। ग्लेनडन ने वाटिकन में
4 मई को संवाददाताओं से कहा कि नये शोध उस मंत्र को चुनौती दे रहे हैं जिसमें कहा जाता
है कि धर्म समाज में अशांति और विभाजन का कारण है। उन्होंने कहा कि यद्यपि धर्म का उपयोग
संघर्ष को बढ़ाने के लिए हो सकता है लेकिन आंकड़े सिद्ध करते हैं कि विकास, लोकतंत्र
और शांति का प्रसार करने में यह महत्वपूर्ण कारक है। कुछ अध्ययन दिखाते हैं कि कुछेक
समाज में हिंसा का बड़ा स्थान होता है जहाँ धार्मिक अभ्यास पर अंकुश लगाया जाता है जबकि
धार्मिक स्वतंत्रता का प्रसार वास्तव में शांति को बढ़ावा देता तथा अंतरधार्मिक संघर्षों
को कम करता है। ग्लेन्डन ने कहा परमधर्मपीठीय अकादमी के सदस्य इस बात पर सहमत थे
कि धार्मिक स्वतंत्रता के विभिन्न नमूना जो सामान्य तौर पर देश की संस्कृति और इतिहास
को प्रतिबिम्बित करते हैं समान रूप से असरकारी हो सकते हैं लेकिन जो वैध बहुलवाद की रचना
करती तथा यह कौन निर्धारित करता है कि क्या वैध है इन बातों पर वे सर्वसम्मत नहीं हो
सके।