नई दिल्ली, 25 अप्रैल, 2011 (कैथन्यूज़) ईसाइयों ने भारतीय उच्च न्यायालय द्वारा ‘सम्मान
हत्या’ और अन्य संस्थागत अत्याचार करने को प्रोत्साहन देने वाली ‘जातीय समितियों’ के
अवैध घोषित जाने का स्वागत किया है। 19 अप्रैल को दिये गये अपने फैसले में न्यायालय
ने कहा कि " इस प्रकार की जातीय समितियाँ " प्रतिष्ठा हत्या " को प्रोत्साहन देतीं हैं
और उन युवाओं पर संस्थागत अत्याचार करती हैं जो अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाह करना
चाहतीं हैं।" न्यायालय के अनुसार " यह बिल्कुल असंवैधानिक है और उन्हें निरंकुशतापूर्वक
कुचल दिया जाना चाहिये। प्रतिष्ठा हत्या में कुछ भी प्रतिष्ठा योग्य नहीं है। " प्रोटेस्टंट
महिला नेता ज्योत्सना चटर्जी ने ने कहा कि " न्यायालय का निर्णय सराहनीय है क्योंकि
हम एक ही देश में दो तरह के नियमों की कल्पना नहीं कर सकते हैं।" उन्होंने कैथन्यूज़
को बताया कि " इस दिशा में पूर्ण बदलाव लाना आसान नहीं है और परिवर्तन की गति धीमी हो
सकती है पर यह महत्वपूर्ण निर्णय है।उच्च न्यायालय ने एक रास्ता दिखा दिया है अब समाज
और सरकार को चाहिये कि इस लागू करने के लिये उचित कदम उठाये।" वकील सिस्टर मरिया
स्कारिया ने कहा है कि यह " निर्णय सही समय में लिया गया उचित निर्णय है।" सीबीसीआई
के प्रवक्ता फादर बाबू जोसेफ ने कहा है कि ये जातीय समितियाँ व्यक्ति की स्वतंत्रता विशेष
करके नारियों की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर डाल रही थी। विदित हो पिछले वर्ष हरियाणा
में ‘सम्मान हत्या’ के सिलसिले में 5 लोगों की हत्या गयी और एक दम्पति की हत्या कर दी
जो सजातीय थे। जातीय समिति ने सन् 2007 में कहा था कि सजातीय विवाह स्वीकार्य नहीं
हो सकता क्योंकि वे एक-दूसरे के भाई-बहन हैं। इस दम्पति हत्या की हत्या कर दी गयी थी
और उन्हें नहर में फेंक दिया गया था। उनके हाथ-पैर बँधे पाये गये थे। विदित हो इस
प्रकार की समितियों को ‘खाप पंचायत’ के नाम से जाना जाता है जो हरियाणा, पंजाब, उत्तर
प्रदेश और दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में सक्रिय हैं।