2011-04-23 09:32:11

वाटिकन सिटीः पहली बार सन्त पापा ने टेलेविज़न पर लोगों के प्रश्नों का उत्तर दिया



वाटिकन सिटी, 23 अप्रैल सन् 2011 (सेदोक): प्रभु येसु मसीह के दुखभोग की स्मृति में मनाये जानेवाले गुडफ्रायडे के दिन, शुक्रवार 22 अप्रैल को, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पहली बार टेलेविज़न पर लोगों के प्रश्नों के उत्तर दिये।

सन्त पापा ने जापान की एक सात वर्षीया बच्ची, आयवरी कोस्ट की एक मुसलमान महिला, विगत दो वर्षों से कोमा में पड़े युवक की देखरेख करनेवाली माँ तथा एक ईराकी युवक द्वारा इताली टेलेविज़न राय के "आ सूआ इम्माजिने" नामक टेलेविज़न कार्यक्रम के दौरान पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया। शुक्रवार को टेलेविज़न कार्यक्रम में विडियो लिंक द्वारा सम्पर्क साधकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने एक नया कीर्तीमान स्थापित किया।

इटली की महिला मरिया तेरेसा ने सन्त पापा को बताया कि उनका बेटा फ्राँचेस्को सन् 2009 के पास्का रविवार से कोमा में है। उन्होंने सन्त पापा से पूछा कि क्या उनके बेटे की आत्मा ने शरीर का परित्याग कर दिया क्योंकि विगत दो साल से वह सचेत नहीं है? इस पर सन्त पापा ने माँ मरिया तेरेसा को आश्वास्त करते हुए कहा कि निश्चित्त रूप से उसकी आत्मा अभी भी शरीर में ही विद्यमान है।

सन्त पापा ने समझाते हुए कहा कि बेटे का शरीर एक गितार की तरह है जिसके तार टूट गये हैं इसलिये वह संगीत उत्पन्न नहीं करता। उसी प्रकार शरीर के कलपुर्ज़े कमज़ोर हैं, वह दुर्बल है इसलिये, ऐसा कहा जा सकता है कि, आत्मा संगीत उत्पन्न नहीं कर सकती तथापि वह उसके शरीर में विद्यमान है।

सन्त पापा ने माँ को आश्वासन दिया और कहा कि बेटे की छिपी हुई आत्मा माँ के प्यार को गहराई तक महसूस करती है, यद्यपि इसे समझने में वह असक्षम है।

उन्होंने कहा, इसीलिये, "प्रिय अभिभावक, प्रिय माँ आपकी उपस्थिति घण्टों और प्रतिदिन घण्टों उसके साथ, वास्तविक प्रेम का कृत्य है, वह अनमोल है क्योंकि यही उपस्थिति आत्मा की गहराई तक पहुँचती है। आपका यह कृत्य ईश्वर में विश्वास का साक्षी है, वह जीवन के प्रति समर्पण एवं सम्मान का कृत्य है।

सन्त पापा ने मरिया तेरेसा से कहा कि वह अपने बेटे की देखरेख जारी रखे क्योंकि घायल शरीर एवं पीड़ित आत्मा की सेवा कर वह दुनिया के समक्ष विश्वास का साक्ष्य प्रस्तुत कर मानवजाति की महान सेवा कर रही है।

जापान में 11 मार्च को आये भूकम्प एवं सूनामी में 28,000 लोगों की मृत्यु एवं अपार क्षति के बारे में एक सात वर्षीय बालिका द्वारा पूछे जाने पर सन्त पापा ने कहा कि कोई भी पीड़ा व्यर्थ नहीं जाती। सन्त पापा ने कहा कि इस पीड़ा का हमारे पास कोई उत्तर नहीं है किन्तु हम जानते हैं कि येसु ने भी उसी प्रकार पीड़ा सही जैसा तुम सह रहे हो।

आयवरी कोस्ट की एक मुसलमान महिला ने वहाँ जारी युद्ध एवं संघर्ष के विषय में बताया जिसमें विगत माहों में कम से कम 1500 लोगों के प्राण चले गये तथा लाखों लोग अपने घरों से पलायन के लिये बाध्य हुए हैं। सन्त पापा ने महिला को उत्तर देते हुए कहा कि हमें शांति के आदर्श रूप में प्रभु येसु ख्रीस्त की ओर दृष्टि डालनी चाहिये।

उन्होंने कहा, "हिंसा कभी भी ईश्वर की ओर से नहीं आती, हिंसा कभी भी किसी का भला नहीं करती, हिंसा एक विनाशात्मक रास्ता है किन्तु यह कठिनाईयों से भागने का रास्ता नहीं है।"

सन्त पापा ने महिला को बताया कि उन्होंने वाटिकन के वरिष्ठ कार्डिनल पीटर टर्कसन से आग्रह किया है कि वे आयवरी कोस्ट के विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं से बात कर देश में जारी कलह को ख़त्म करायें। सन्त पापा ने कहा कि शांति पाने का सबसे कारगर रास्ता हिंसा का परित्याग है जिसके लिये सभी को संकल्प करना होगा।

ईराक के एक युवा से सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया उस देश में विभिन्न धर्मों के बीच सम्वाद को प्रोत्साहित कर रही थी।














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