2011-04-22 10:58:45

रोमः रोम के सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर में सन्त पापा ने सम्पन्न की पुण्य बृहस्पतिवार की धर्मविधि


रोम, 22 अप्रैल सन् 2011 (सेदोक): रोम के सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, गुरुवार सन्ध्या, पुण्य बृहस्पतिवार की धर्मविधि सम्पन्न कर, ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने विश्व के समस्त ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के बीच एकता हेतु प्रार्थना की तथा कहा कि उनकी परमाध्यक्षीय प्रेरिताई के लिये विश्वासियों की प्रार्थनाएँ अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।

अपने क्रूस मरण की पूर्व सन्ध्या प्रभु येसु मसीह ने अपने शिष्यों के साथ पास्का भोज ग्रहण किया था तथा इसी अवसर पर शिष्यों के पैर धोकर आपसी प्रेम की एक अनोखी मिसाल प्रस्तुत की थी। अन्तिम ब्यालु की रात में उनके अपने इष्ट मित्र एवं परम प्रिय शिष्य सिमोन पेत्रुस ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया था। इस सन्दर्भ में प्रवचन के अवसर पर सन्त पापा ने कहा कि शैतान आज भी ख्रीस्त के अनुयायियों को गेहूँ के भूसे की तरह छान रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रभु ख्रीस्त ने पेत्रुस से कहा था, "सिमोन, सिमोन, देखो, शैतान ने तुम्हें पाने की मांग की है, ताकि वह तुम्हें गेहूँ के भूसे की तरह छान सके, उसी प्रकार, आज, एक बार फिर हम इस बात के प्रति सचेत हैं कि शैतान को सम्पूर्ण विश्व के समक्ष ख्रीस्त के अनुयायियों को छानने के अवसर मिल रहे हैं।

सन्त पापा ने कहा, "बड़ी अभिलाषा के साथ येसु ने उस घड़ी का इन्तज़ार किया था। अपने हृदय के अन्तरतम में वे उस घड़ी की आतुरता के प्रतीक्षा करते रहे जब वे रोटी और अँगूरी रूप में ख़ुद को अर्पित करनेवाले थे। वे उस घड़ी की प्रतीक्षा करते रहे जो, एक प्रकार से, यथार्थ मसीही विवाह समारोह कहा जा सकता हैः वह घड़ी, जब वे इस धरती के उपहारों को अपने आप में रूपान्तरित करनेवाले थे, वह घड़ी, जब वे सम्पूर्ण विश्व के रूपान्तरण का उदघाटन करनेवाले थे।"

सन्त पापा ने कहा, "येसु हमें चाहते हैं, वे हमारी प्रतीक्षा करते हैं। प्रश्न ये उठते हैं कि हम इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या हम भी उन्हें चाहते हैं? क्या हम उनसे मिलने के लिये आतुर हैं? क्या हम भी उनका साक्षात्कर करना चाहते हैं, क्या हम भी उन वरदानों को ग्रहण करना चाहते हैं जो वे हमें पवित्र यूखारिस्त में देते हैं? या फिर हम उनके प्रति उदासीन हैं, अन्यमनस्क हैं, अन्य चीज़ों में व्यस्त हैं?"

पश्चिम के राष्ट्रों की ओर इशारा करते हुए सन्त पापा ने कहा कि येसु, "मेज़ पर खाली जगहों के बारे में सबकुछ जानते हैं, निमंत्रणों के अस्वीकार किये जाने के बारे में सबकुछ जानते हैं, उनमें अभिरुचि की कमी तथा उनके सामीप्य के बारे में उन्हें सबकुछ मालूम है।"

"हमारे लिये," उन्होंने कहा, "प्रभु के विवाह भोज की मेज़ पर खाली जगह, चाहे उसका कोई कारण हो या न हो, दृष्टान्त मात्र नहीं अपितु वास्तविकता बन गई है, उन देशों की वास्तविकता जिनके समक्ष प्रभु ने अपने सामीप्य को, विशिष्ट तौर पर, प्रकट किया था।"

रोम के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने ख्रीस्तीयों के बीच एकता हेतु ख्रीस्त की प्रार्थना पर चिन्तन किया और कहा कि ख्रीस्तीयों के बीच एकता ने उनके अन्तरमन को गहराई से छुआ था तथा जिसके प्रति वे अत्यधिक व्यग्र थे।

पवित्र यूखारिस्तीय संस्कार एकता और सहभागिता का संस्कार है, इस तथ्य पर बल देते हुए, उन्होंने कहा, "यूखारिस्त, प्रत्येक व्यक्ति के प्रभु के संग गहन सामीप्य एवं सहभागिता का रहस्य है, और, साथ ही, यह सबके बीच दृश्यमान एकता का संस्कार है। यूखारिस्त पवित्र तृत्व के रहस्य की गहराई तक पहुँचता और, इस प्रकार, दृश्यमान एकता को साकार करता है। मुझे यह कहने दें कि यूखारिस्त प्रभु के साथ एक अत्यन्त वैयक्तिक साक्षात्कार है तथापि, यह मात्र व्यक्तिगत धर्मपरायणता अथवा निष्ठा का कृत्य नहीं है। हमारी अपनी ज़रूरत के कारण हम यूखारिस्त का समारोह मनाते हैं।"

सन्त पापा ने इस ओर भी ध्यान आकर्षित कराया कि यूखारिस्तीय प्रार्थना में हम कलीसिया के परमाध्यक्ष तथा अपने धर्माध्यक्ष का नाम लेते और, इस प्रकार, विश्वासियों एवं मेषपालों के बीच विद्यमान एकता को दृश्यमान बनाते हैं जो, सम्पूर्ण विश्व के लिये, एकता का एक महान चिन्ह बन जाता है।

सन्त पापा ने सभी काथलिक विश्वासियों से आर्त निवेदन किया कि वे ईश्वर एवं प्रभु ख्रीस्त को पुनः जानने का प्रयास करें। उन्हें उस रूप में जानें जैसे वे सचमुच में हैं, उस रूप में नहीं जिस रूप में हम उन्हें देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "इस बात को स्वीकार करना हमारे लिये बहुत मुश्किल प्रतीत होता है कि उन्होंने अपनी कलीसिया एवं अपने मेषपालों तक ही ख़ुद को सीमित रखा। यह भी हम स्वीकार नहीं करना चाहते कि वे इस विश्व में शक्तिहीन हैं। जब ख्रीस्त के अनुयायी होना क़ीमती एवं ख़तरनाक होने लगता है तब हम भी बहानों की खोज करते हैं ।"

"हम सबको मनपरिवर्तन की आवश्यकता है जो येसु को ईश्वर एवं मानव स्वीकार करने में हमारी मदद करता है। हमें उस शिष्य की तरह विनीत बनने की ज़रूरत है जो अपने गुरु और प्रभु की इच्छा का पालन करता है। आज रात, हम येसु से याचना करें कि वे हमारी ओर वही दृष्टि डालें जैसी उन्होंने, उपयुक्त समय पर, पेत्रुस पर डाली थी और हमारा मनपरिवर्तन करें।"

अपना प्रवचन सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस प्रार्थना से समाप्त कियाः "प्रभु, आपके साथ इस पास्का भोजन को ग्रहण करने हेतु मैंने आतुरता से प्रतीक्षा की है। प्रभु आप हमें चाहते हैं, आप मुझे चाहते हैं। पवित्र यूखारिस्त में आप हमें अपना भागीदार बनाते हैं। प्रभु, हममें आपके लिये तृष्णा को जगायें। आपके साथ तथा एक दूसरे के साथ हम एकता में सुदृढ़ बनें। अपनी कलीसिया को आप एकता का वरदान दें ताकि संसार विश्वास कर सके।" आमेन।










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