भोपाल, नई दिल्लीः मध्यप्रदेश के ख्रीस्तीय धर्मानुयायी आतंकित, विरोध के बाद सरकार ने
लिया सर्कुलर वापस
भोपाल, नई दिल्ली, 16 अप्रैल सन् 2011: मध्यप्रदेश में ईसाई समुदाय के घोर विरोध के बाद
राज्य सरकार ने उस सर्कुलर को वापस ले लिया है जिसमें केवल ख्रीस्तीय समुदाय के बारे
में जानकारी एकत्र करने का राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों को आदेश दिया गया था। मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान ने इसे जारी करने को लेकर पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट भी मांगी है।
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर
आनन्द मुत्तुंगल ने अपने हाल के एक लेख में प्रश्न किया था कि मध्यप्रदेश के ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों किया जा रहा था? उन्होंने इस मामले
को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा था कि ऐसा सर्कुलर जारी करने के पीछे छिपे कारणों की जांच
होनी चाहिए।
ग़ौरतलब है कि 22 मार्च को पुलिस मुख्यालय से एक परिपत्र जारी किया
गया था, जिसमें सभी पुलिस अधीक्षकों से ख्रीस्तीय समुदाय के गिरजाघरों, स्कूलों तथा अन्य
ख्रीस्तीय संस्थाओं का लेखा जोखा मांगा गया था। साथ ही, ख्रीस्तीय संस्थाओं की आर्थिक
स्थिति की समीक्षा, विदेशों से मिलनेवाले धन, राजनीतिक झुकाव, नए और पुराने चर्चों के
आर्थिक स्रोतों आदि के बारे में जानकारी भेजने को कहा गया था। इस आदेश को अनजाम देते
हुए मध्यप्रदेश पुलिस अधीक्षकों ने अपने-अपने जिलों के थाना प्रभारियों से पूरी जानकारी
मांगी थी तथा पुलिस कर्मचारियों ने काम शुरु कर दिया था।
ख्रीस्तीय समुदाय ने
उक्त आदेश को भेदभावपूर्ण एवं अन्यायपूर्ण बताकर इसका कड़ा विरोध किया था। उन्होंने राज्य
पुलिस महानिदेशक संतोष कुमार राउत से मुलाकात कर इसे वापस लेने की मांग की थी। इसके बाद,
पुलिस मुख्यालय ने यह सर्कुलर वापस लेने के आदेश जारी कर दिए हैं।
पुलिस महानिदेशक
एस. के. राउत ने बीबीसी से बातचीत में इस परिपत्र को महज़ एक प्रशासनिक ग़लती निरूपित
किया तथा इसे वापस लिये जाने की पुष्टि की। उन्होंने इसपर और कोई विवरण देने से इनकार
कर दिया।
इस बीच, विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने ईसाई समुदाय के बारे में जानकारी
इकट्ठा करने से जुड़े उक्त सर्कुलर को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। पार्टी ने इसके लिए मध्यप्रदेश
में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की कटु आलोचना की है।