धवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 13 अप्रैल, 2011
रोम, 13अप्रैल, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय
भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में संतों के जीवन पर मनन-चिन्तन की लम्बी श्रृंखला
को समाप्त करते हुए हम ख्रीस्तीय पवित्रता विचार करें।
प्रत्येक ख्रीस्तीय को
ईश्वर ने बुलाया है ताकि वह पवित्र बने या संत बने। पवित्रता ख्रीस्तीय जीवन की परिपूर्णता
है।
यह एक ऐसा ख्रीस्तमय जीवन है जिसमें हम येसु के विचार मनोभाव और कार्यों
से संयुक्त हो जाते हैं और अपने जीवन को येसु के अनुरूप बना लेते हैं।
वस्तुतः
यह पवित्र आत्मा का कार्य है जिसे हमें बपतिस्मा संस्कार में दिया गया है ताकि हम पास्का
रहस्य में सहभागी हों और पुनर्जीवित येसु से संयुक्त होकर एक नया जीवन प्राप्त करें।
सच पूछा जाये तो पवित्रता का अर्थ है प्रेमपूर्ण जीवन की चरमसीमा। पवित्रता की
तलाश करते हुए हम ईशवचन को सुनने, उसका पालन करने, प्रार्थना करने, संस्कारों को ग्रहण
करने तथा अपने पड़ोसियों की सेवा करने के द्वारा ईश्वरीय जीवन के बीज और प्रेम को हमारे
दिल में बढ़ने देते है।
संतों का जीवन हमें ख्रीस्तीय जीवन की पूर्णता प्राप्त
करने और अनन्त जीवन पाने में हमारी सहायता करते हैं।
मेरी प्रार्थना है कि संतों
की मध्यस्थता और पवित्र आत्मा की शक्ति हम अपने ख्रीस्तीय बुलाहट को पूर्ण रूप से जी
सकें ताकि पवित्रता की ईश्वरीय इतिहास के ‘मोजाइक’ में हम भी एक चमकीले पत्थर के रूप
में ऐसा चमकें कि इससे ईश्वरीय महिमा हो और येसु का चेहरा अपनी पूरी गरिमा में चमक सके।
इस अवसर पर संत पापा ने मेलबोर्न के संत जेवियर्स कॉलेज में आयोजित तृतीय राष्ट्रीय
परिवार महोत्सव के प्रतिभागियों को अपना आशीर्वाद दिया।
उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण
है आप सिर्फ इस बात का साक्ष्य न दें कि परिवारों में आपसी प्रेम है पर इस बात का भी
साक्ष्य दें कि आप अपने प्रेम कलीसिया और विश्वरूपी वृहत परिवार को भी दिखायें।
उन्होंने
कहा कि कलीसिया ईश्वरीय प्रजा का परिवार है जहाँ आप नयी मानवता, नवीकृत प्रेम तथा एकता
एवं जीवन व स्थायित्व की संस्कृति के नायक बनें और पिता ईश्वर को हमेशा महिमा प्रदान
करें।
इतना कह कर उन्होंने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने यूरोपियन
सोसायटी ऑफ तेमपोरोमानदिबुलार के सदस्यों, वर्ल्ड अनेस्थेसिया कॉंगेंस के प्रतिनिधियों,
अमरिकन कॉलेज के विद्यार्थियों, इंगलैंड, फिनलैंड, फिलीपीन्स और अमेरिका के तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर संत मेरी मैकिलोप की मध्यस्थता और
अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देते हुए नाज़रेथ के पवित्र परिवार को सौंपा।
उन्होंने
सबों प्रभु की कृपा और शांति की कामना कीं और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।