2011-04-06 13:10:50

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश
6 अप्रैल, 2011


रोम, 6 अप्रैल, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में लिज्यु की संत तेरेसा के जीवन पर मनन-चिन्तन करें। संत तेरेसा कार्मेल धर्मसमाज की एक युवा धर्मबहन थीं जिन्होंने नम्रतापूर्वक पवित्रता का जो पथ दिखाया उससे सारा ख्रीस्तीय समुदाय बहुत प्रभावित हुआ।

तेरेसा का जन्म एक धर्मी काथलिक परिवार में हुआ था। जब वह 15 साल की तब उन्होंने लित्सु के कार्मेल धर्मसमाज में प्रवेश करने की अनुमति मांगी और अनुमति मिलने के बाद उसने युवाकाल ही में कार्मेल धर्मसमाज में प्रवेश किया।

संत तेरेसा को लोग ‘बालक येसु की तेरेसा’ या ‘पवित्र चेहरे कि तेरेसा’ के नाम से जानते हैं। उन्होंने अपना सारा जीवन ‘ईश्वर के प्रेम’ पर चिन्तन करने में बिताया।

वह येसु के जन्म और मुक्ति के बारे मे भी सदा चिन्तन किया करती थी। येसु के जीवन का अनुकरण उन्होंने नम्रतापूर्वक किया और लोगों की मुक्ति के लिये प्रार्थना किया।जब वह 23 साल की थी तब उन्हें क्रूसित येसु के साथ एक दिव्य शारीरिक यातना का अहसास हुआ।

संत तेरेसा के जीवन में विश्वास के संबंध में भी प्रलोभन आये जिसे उन्होंने लोगों की मुक्ति के लिये ईश्वर को अर्पित कर दिया।

जीवन की हर घटना में उन्होंने ईश्वर के प्रेम को पहचानने का प्रयास किया। जब संत तेरेसा ने अपनी बुलाहट को गहराई से पहचानने की कृपा मिली तो उसने अपने जीवन को कलीसिया के लिये पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया।

आज संत तेरेसा के प्रार्थनामय विनम्र जीवन का उदाहरण हमें प्रेरित करे ताकि हम प्रेम और आस्था के नम्र मार्ग को अपनायें और आत्मत्याग करते हुए ईश्वरीय प्रेम तथा लोगों की सेवा में अपना जीवन बिता सकें।




इतना कह कर संत पापा ने समारोह में उपस्थित गायक दल को धन्यवाद देते हुए अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने पोंतिफिकल अकादमी द्वारा प्रायोजित पारकिनसंन्स बीमारी पर हो रहे सेमिनार के प्रतिभागियों, नाटो डिफेंस कॉलेज तथा नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज के विद्यार्थियों इंगलैंड, स्कॉटलैंड, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडेन, साउथ कोरिया, चैनल आइलैंड, और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।













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