देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 3 अप्रैल को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण
में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का
पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा- अतिप्रिय भाईयो और
बहनो,
यह चालीसाकालीन यात्रा जिसमें हम हैं, यह कृपा का विशेष समय है इसके दौरान
हम हम ईश्वर की उदारता रूपी उपहार का अनुभव कर सकते हैं। इस रविवार की पूजनधर्मविधि जिसे
हम " लायतारे संडे " कहते हैं हमें आनन्द मनाने तथा हर्षित होने के लिए आमंत्रित करती
है जिसकी उदघोषणा पवित्र यूखरिस्त का प्रवेश भजन करता है- येरूसालेम आनन्द मनाओ, तुम
जो येरूसालेम को प्यार करते हो, उसके कारण उल्लास के गीत गाओ। तुम जो उसके लिए विलाप
करते थे उसके कारण आनन्दित हो जाओ, जिससे तुम उसकी संतान होने के नाते सान्त्वना का दूध
पीते हुए तृप्त हो जाओ और उसकी गोद में बैठकर उसकी महिमा पर गौरव करो। (इसायस 66. 10-11)
इस
आनन्द का गहरा कारण क्या है ? हमें आज का सुसमाचार पाठ बताता है जिसमें येसु जन्म से
अंधे एक व्यक्ति को चंगा करते हैं। प्रभु येसु उस व्यक्ति से जो सवाल करते हैं वह इस
वृत्तांत का चरम बिन्दु है- क्या तुम मानव पुत्र में विश्वास करते हो ? वह व्यक्ति संकेत
को पहचानता है जिसे येसु करते हैं और आँखों की ज्योति से विश्वास के प्रकाश को देते हैं-
प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ।
यह गौर करने की बात है कि कैसे एक सरल और ईमानदार
आदमी क्रमशः विश्वास की यात्रा में आगे बढ़ता है। प्रथम क्षण में वह येसु को अन्यों के
बीच एक आदमी के रूप में मिलता है, फिर वह उन्हें एक नबी सोचता है और अंत में उसकी आँखें
खुल जाती हैं और वह उन्हें " प्रभु " कहकर उदघोषित करता है। अंधे व्यक्ति के विश्वास
के विरोध में फरीसियों का दिल कठोर होता जाता है जो चमत्कार को स्वीकार नहीं करना चाहते
हैं क्योंकि वे येसु को मसीह के रूप में स्वीकार करने से इंकार करते हैं। इसके बदले में
भीड़, जो कुछ हुआ इसके बारे में बातचीत नहीं करती है और उदासीन रहती है। अंधे व्यक्ति
के माता पिता भी दूसरों के द्वारा निर्णय किये जाने के भय से घिर जाते हैं।
और
हम, येसु के प्रति कौन सी मनोवृत्ति अपनायें। हम भी, आदम के पाप के कारण, अंधे जन्मे
हैं लेकिन बपतिस्मा के कुँड में येसु की कृपा से आलोकित किये गये हैं। पाप ने मानवजाति
को घायल कर दिया और इसकी नियति मृत्यु की ओर कर दिया लेकिन येसु में जीवन की नवीनता चमकती
है तथा इसके लक्ष्य की ओर हम बुलाये गये हैं। उन्में, पवित्र आत्मा से आलोकित होकर, हम
बुराई को पराजित करने तथा भलाई करने के लिए शक्ति पाते हैं। वस्तुतः ख्रीस्तीय जीवन
ख्रीस्त, नये मानव की छवि, ईश्वर के साथ पूर्ण एकात्मता प्राप्त करने के प्रति सतत पुष्टि
करना है। प्रभु येसु संसार की ज्योति हैं क्योंकि उन्में ईश्वर की महिमा का ज्ञान चमकता
है जो इतिहास के जटिल प्रसंग में मानव अस्तित्व के अर्थ को प्रकट करता रहता है।
बपतिस्मा
संस्कार की रीति में, पास्का की महान मोमबत्ती जिसकी ज्योति से जलाकर जो मोमबत्ती प्रस्तुत
की जाती है, वह पुर्नजीवित ख्रीस्त का प्रतीक है। जब हम अपने जीवन को ख्रीस्त के प्रकाश
से आलोकित होने देते हैं तब हम उन सबसे मुक्त होने के आनन्द को अनुभव करते हैं जो हमारे
जीवन की परिपूर्णता के लिए खतरा उत्पन्न करता है। इन दिनों में जो हमें पास्का के लिए
तैयार कर रहा है, स्वयं में बपतिस्मा में मिले उपहार को पुनः जगायें, वह ज्योति जिसके
सामने यदा कदा बुझकर समाप्त हो जाने का खतरा है। हम प्रार्थना और पड़ोसी के प्रति उदारता
के कृत्यों द्वारा इसे और अधिक प्रकाशित होकर जलने दें। हम चालीसाकालीन यात्रा को कुँवारी
माता मरियम, कलीसिया की माँ के सिपुर्द करते हैं ताकि सबलोग संसार के मुक्तिदाता ख्रीस्त
का साक्षात्कार कर सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
तदोपरांत संत पापा
ने कहा- प्रिय भाईयो और बहनो, मेरे प्रिय पूर्वाधिकारी वंदनीय जोन पौल द्वितीय के निधन
की कल (2 अप्रैल) 6 वीं पुण्यतिथि थी। मैंने उनकी होनेवाली धन्य घोषणा समारोह को देखते
हुए उनके लिए पारम्परिक रूप से ख्रीस्तयाग नहीं चढाया लेकिन उन्हें प्रार्थना में स्नेहपूर्वक
स्मरण किया जैसा कि मैं आज आप सबके बारे में सोचता हूँ। जब हम चालीसाकालीन यात्रा के
दौरान स्वयं को पास्का पर्व के लिए तैयार कर रहे हैं हम उस दिवस के निकट सानन्द पहुँच
रहे हैं जिसमें हम इस महान संत पापा और ख्रीस्त के साक्षी की आराधना करने में सक्षम होंगे
तथा स्वयं को और अधिक उनकी मध्यस्थता के सिपुर्द कर सकेंगे।