2011-03-24 17:35:03

महाधर्माध्यक्ष रोमेरो का जीवन और काम भारत में कलीसिया के लिए आदर्श हो


(23 मार्च वीआर अंग्रेजी) भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) के न्याय, शांति और विकास संबंधी आयोग ने 24 मार्च को भारत के प्रमुख शहरों दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता में एल सल्वाडोर के महाधर्माध्यक्ष ओस्कार रोमेरो के शहादत की स्मृति में मानवाधिकार हनन तथा अन्याय के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए रोमेरो दिवस का आयोजन किया। महाधर्माध्यक्ष रोमेरो शोषित और पीड़ित लोगों की आवाज थे जिनकी हत्या 24 मार्च 1980 को कर दी गयी थी जब वे ख्रीस्तयाग अर्पित कर रहे थे। इस पुण्यतिथि पर समारोहों का आयोजन किया। मुम्बई में यह समारोह होली नेम कैथिड्रल में किया गया।
न्याय, शांति और विकास संबंधी धर्मप्रांतीय आयोग के अध्यक्ष फादर आल्विन डिसिल्वा ने मुम्बई में एशिया न्यूज से कहा कि यह बहुत जरूरी है कि निर्धनों और समाज के वंचित तबके के लोगों की ओर से महाधर्माध्यक्ष रोमेरो का जीवन और काम भारत की कलीसिया के लिए आदर्श हो। उन्होंने कहा कि यह सच है कि अनेक मामलों में भारत में धर्माध्यक्षों ने समाज के वंचित तबकों की ओर से कदम उठाये हैं तथापि बहुत कुछ किया जाना शेष है।
भारत की आबादी का लगभग 60 प्रतिशत समाज के वंचित तबके से आते हैं जो उच्च स्तर की गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, राजनैतिक पार्श्वीकरण, सामाजिक भेदभाव तथा सीमित मानवाधिकार से पीडित होते हैं।
फादर डिसिल्वा ने जोर दिया कि आदिवासियों या जनजाति समुदायों की जमीन बलपूर्वक ले ली गयी है तथा वे अपने ही वन क्षेत्रों में अन्यों के मुनाफे के लिए दैनिक मजदूरों की तरह काम करने के लिए विवश किये गये हैं। यह विनाशकारी प्रक्रिया हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि हम रोमेरो दिवस का आयोजन कर जोर दे रहे हैं कि महाधर्माध्यक्ष रोमेरो के उदाहरण का अनुसरण करें और विरोध करने के अहिंसक तरीकों से समाज के वंचित तबके के लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करें। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ विरोध करनेवाले सामाजिक कार्य़कर्त्ताओं, पुरोहितों, धर्मसमाजियों और लोकधर्मियों को विभिन्न मामलों में न्यायिक प्रक्रियाओं का सामना करना पडा है।








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