जिनिवाः वाटिकन ने प्रत्येक मानव व्यक्ति प्रतिष्ठा और योग्यता की पुष्टि की
जिनिवा, 23 मार्च सन् 2011 (सेदोक): वाटिकन ने प्रत्येक मानव प्राणी की प्रतिष्ठा एवं
योग्यता की पुष्टि की है।
मंगलवार को, जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय
में मानवाधिकार समिति की बैठक के 16 वें सत्र में, वाटिकन के प्रतिनिधि तथा संयुक्त राष्ट्र
संघ के उक्त कार्यालय में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थोमासी
ने सदस्यों राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मानव
व्यक्ति की प्रतिष्ठा का सम्मान किया जाना चाहिये तथा हर हालत में उसके मानवाधिकारों
की रक्षा होनी चाहिये।
उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठ हर व्यक्ति की अन्तर्निहित
प्रतिष्ठा एवं योग्यता की पुष्टि करती तथा उस हिंसा की निन्दा करती है जो लोगों को, उनकी
यौन अभिमुखता, सोच एवं यौन व्यवहार के कारण, निशाना बनाती है।"
महाधर्माध्यक्ष
थोमासी ने कहा कि राष्ट्रों का अधिकार एवं कर्त्तव्य है कि वे लोगों के आचार व्यवहार
को नियमित करें। तथापि उन्होंने कहा, "किसी भी राज्य को यह अधिकार नहीं कि वह किसी व्यक्ति
को, केवल उसके सोचने के ढंग और उसकी यौन भावनाओं सहित उसकी अभिव्यक्ति के आधार पर, उसके
मानवाधिकारों से वंचित करे।"
महाधर्माध्यक्ष थोमासी ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व
के समाजों में इस बात पर सहमति है कि कुछ विशिष्ट प्रकार के यौनाचार जैसे बच्चों के विरुद्ध
यौन दुराचार तथा कौटुम्बिक व्यभिचार को कानूनन वर्जित ठहराया जाना चाहिये।
वाटिकन
के प्रतिनिधि ने कहा कि परमधर्मपीठ इस बात पर बल देना चाहती है कि मानवीय यौनाचार एक
वरदान है जिसे, एक स्त्री एवं एक पुरुष के वैवाहिक सम्बन्ध द्वारा, आजीवन समर्पण में
अभिव्यक्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि किसी भी अन्य कृत्य के समान मानवीय यौनाचार का
भी एक नैतिक आयाम है जिसे कभी भी नहीं भुलाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस गतिविधि
में हर व्यक्ति की प्रतिष्ठा को बरकरार रखा जाना अनिवार्य है।