जकार्ता, 21 मार्च, 2011 (एशियान्यूज़) इंडोनेशिया को ज़रूरत हैं ऐसे लोगों की जिन्हें
अपने राष्ट्र से प्रेम है जहाँ नेतृत्व मजबूत हो जिनके पास दीर्घकालीन योजनायें जिससे
वे एक ऐसे बहुलवादी समाज का निर्माण कर सकें जहाँ सहिष्णुता हो, विशेष करके अल्पसंख्यकों
के प्रति। उक्त बात की जानकारी दो अहमदी नेताओं ने एशियान्यूज़ को दी। ज्ञात हो कि
अहमदी नेता मुहम्मद को अंतिम नबी के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं। यह एक ऐसा समुदाय
है जिन्हें इस्लामिक देश विधर्मी मानते हैं। जकार्ता के एक अहमदी नेता ने बताया
कि इंडोनेशिया की सरकार चाहती है कि वह इस समुदाय पर पाबंद लगाये। अपने नाम को गुप्त
रखते हुए इस अहमदी नेता ने कहा कि " मैं व्यक्तिगत रूप से इस बात पर विश्वास करता हूँ
कि दिजोको सुयान्तो जिन पर राज्य की आंतरिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौपी गयी है वे खुद
ही समुदाय पर पाबन्दी के खिलाफ है।" वे इस बात का विरोध करते हैं कि अहमदियों पर
बैन लगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं के पास ऐसी कोई कानूनी ताकत नहीं है कि वे इस
तरह की धार्मिक आन्दोलनों का विरोध कर सकें। सेंट्रल जावा के एक दूसरे अहमदी नेता
ने एशियान्यूज़ को बताया कि उनके समुदाय का आधार है पैगम्बर मुह्म्मद द्वारा सिखाया
गया प्रेम और सहिष्णुता। उन्होंने कहा उनके जीवन का लक्ष्य है सबों से प्रेम करना
और किसी से घृणा नहीं करना। उन्होंने कहा कि आज ज़रूरत है ऐसे दल की जो अल्पसंख्यकों
का ख्याल रखे और उनका ख्याल रखे जो हिंसा के शिकार हुए हैं। विदित हो कि इंडोनेशिया
के सिर्फ तीन प्रांत के लोगों ने अहमदी दल को स्वीकार किया है जिनमें योगियाकार्ता,
जकार्ता और जांबी शामिल हैं।