इटली के एकीकरण की 150 वीं जयन्ती पर सन्त पापा का सन्देश
(वाटिकन सिटी सीएनएस जेनिथ) इटली के एकीकरण की 150 वीं जयन्ती 17 मार्च को मनाई गयी।
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस उपलक्ष्य में, अपना विशिष्ट सन्देश 16 मार्च को वाटिकन
राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने के माध्यम से इटली के राष्ट्रपति जोर्जो नापोलीतानो
के सिपुर्द किया।
उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि इटली के एकीकरण का अर्थ
था पेपल स्टेटेस का अंत होना लेकिन इताली अस्मिता को बढ़ावा देने में एक प्रमुख शक्ति
काथलिकवाद थी। इतालवियों की राष्ट्रीय अस्मिता काथलिक परम्परा में गहराई से जुड़ी थी
जिसने राजनैतिक एकता प्राप्त करने के लिए ठोस मजबूत आधार प्रदान किया। सन 1861 में इटली
के एक देश के रूप में घोषणा की गयी।
संत पापा ने कहा है कि वे यह तथ्य जानते
हैं कि इटली के क्षेत्रों के एकीकरण का अर्थ था पोप के लौकिक शासन संबंधी अधिकारों का
अंत और इससे अनेक लोगों में यह विचार आया कि एकीकरण का अर्थ कलीसिया, काथलिकवाद, यहाँ
तक कि यदा कदा सामान्य तौर पर धर्म के खिलाफ अभियान। संत पापा ने कहा कि सांस्थानिक तौर
पर इटली और वाटिकन को विवश होना पडा कि वे शांतिमय सह्स्तित्व के मार्ग खोजें। इटली का
एकीकरण सफल हुआ और कलीसिया का भी विकास होता रहा क्योंकि इटली के एकीकरण के समर्थकों
तथा इताली काथलिकों के मध्य कभी घोर विरोध नहीं रहा। वे दोनों एक ही जनता थे।
संत
पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय अस्मिता के अतिरिक्त यह विशेष बात है कि यहाँ इटली में, रोम
में, संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी हैं और यह काथलिक कलीसिया का गढ़ है। इताली समुदाय
ने पोप के प्रति सदैव स्नेहपूर्ण समीपता और सह्दयता दिखाया है तथा संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी,
जो रोम के धर्माध्यक्ष और इटली के प्रथम धर्माधिकारी हैं उन्हें सम्पूर्ण विश्व में अपनी
प्रेरिताई को जारी रखने के लिए समर्थन और सहयोग दिया है।
सन 1929 की लातेरन संधि
के साथ ही इटली और वाटिकन सिटी ने आशामय मेलमिलाप की स्थिति प्राप्त किया है। इटली ने
वाटिकन सिटी को हमेशा बहुमूल्य सहयोग दिया है और देना जारी ऱखा है जिसके प्रति होली सी
कृतज्ञ है।