रोम धर्मप्रांत के पुरोहितों के लिए संत पापा का संदेश
(वाटिकन सिटी सीएनएस 10 मार्च) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने चालीसाकाल के आरम्भ में
10 मार्च को रोम धर्मप्रांत के सैकड़ो पुरोहितों के साथ वाटिकन में वार्षिक मुलाकात के
अवसर पर कहा कि यद्यपि कलीसिया के सामने बहुत समस्याएँ हैं तथापि यह ईश्वर की ओर से उपहार
हैं। बहुत बार विजयवादी होने के भय से पुरोहित और अन्य काथलिक कलीसिया का अंग होने के
उपहार पर आनन्द नहीं मनाते हैं। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर कलीसिया के जीवन में निश्चित
रूप से कठिनाईयाँ हैं तथा नकारात्मक पहलू भी हैं लेकिन यह सुंदर उपहार है कि हम कलीसिया
में जीवन जी सकते हैं तथा ईश्वर के प्रेम और दया के संस्कारों को ग्रहण कर सकते हैं।
संत पापा ने कहा कि यह तथ्य कि कलीसिया न केवल ईश्वर का उपहार और दिव्य है लेकिन
मानवीय भी है इसका अर्थ है कि हमेशा समस्याएँ रहेंगी और पश्चाताप की आवश्यकता होगी। कलीसिया
के सामने हमेशा खतरे हैं, शैतान का विरोध है जो नहीं चाहता है कि पृथ्वी पर विश्वासी
रहें तथापि संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय दृढ़मत रह सकते हैं क्योंकि सत्य हमेशा झूठ
से, प्रेम नफरत से तथा ईश्वर सब विरोधी ताकतों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं। रोम धर्मप्रांत
के पुरोहितों के साथ वार्षिक मुलाकात के अवसर पर सामान्य तौर पर पुरोहितों द्वारा पूछे
जाने वाले सवालों का संत पापा जवाब देते रहे हैं लेकिन इस बार उन्होंने लगभग 40 मिनटों
तक प्रेरित संत पौलुस के पत्र पर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पुरोहित सेवक
है और इसका अर्थ है कि जो मुझे सबसे अधिक अच्छा लगता है उसे नहीं करना लेकिन वह करना
जो दूसरों की सेवा करने के लिए अत्यावश्यक है। पुरोहितों ने जोरदार ताली बजाकर संत
पापा को बधाई दिया जो 16 अप्रैल को 84 वर्ष के हो जायेंगे तथा जून माह में अपनी पुरोहिताभिषेक
की 60 वीं वर्षगांठ मनायेंगे।