2011-03-09 12:12:01

धवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश
9 मार्च, 2011


रोम, 9 मार्च, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज कलीसिया राखबुध का त्योहार मना रही है और इसी के साथ चालीसाकाल की यात्रा आरंभ होती है जो हमें पास्का पर्व मनाने के लिये तैयार करती है।

ख्रीस्तीय जीवन एक ऐसी यात्रा है जिसमें ईसाई प्रतिदिन अपने जीवने को नया बनाते हुए ईश्वर की ओर लौटता है। यह एक ऐसा पथ है जिसमें वह येसु का अनुसरण करते हुए सहर्ष अपना क्रूस उठाते हुए पुनरुत्थान के आनन्द को प्राप्त करता है।

येसु का अनुसरण करने का सबसे प्रथम मार्ग है पूजन विधि - जिसके द्वारा येसु अपनी शक्ति के साथ व्यक्ति के जीवन में प्रभावकारी हो जाता है।

चालीसा काल की पूजन विधि में जब हम बपतिस्मा ग्रहण करने वाले का साथ देते हैं हम अपने ह्रदय को प्रभु के लिये खोलते हैं ताकि हम येसु में नवजीवित होने की कृपा पा सकें। रही है कि।इस आध्यात्मिक यात्रा के समय ईसाइयों में प्रार्थना उपवास और दान देने की प्रथा प्रचलित है।

कलीसिया के आचार्चों का मानना है कि इन तीन धार्मिक क्रियायें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। संत अगुस्टिन ने उपवास और भिक्षा दान को " प्रार्थना का पंख " कहा था।

ऐसा इसलिये क्योंकि ये दोनों व्यक्ति के ह्रदय को उस उड़ान के लिये तैयार करते हैं जिससे व्यक्ति स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में उड़ान भरने लगता है और उस लोक में पहुँचने का प्रयास करता है जिसे येसु ने हमारे लिये तैयार किया है।

चालीसा काल आरंभ हो गया है आइये हम प्रभु के निमंत्रण को स्वीकार करें उसका नज़दीकी से अनुसरण करने का प्रयास करें, प्रार्थना और पश्चात्ताप कर पुनः अपने को प्रभु के लिये समर्पित करें और पुनरुत्थान के आनन्द और पूर्ण नये जीवन की आशा में अपना जीवन जीयें।

उन्होंने आयरलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका और डेट्रोइट के सेक्रेड हार्ट मेजर सेमिनरी के सदस्यों, तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।














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