2011-03-03 17:37:32

पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात की समाप्ति पर फिलीपीन्स के धर्माध्यक्षों के लिए संत पापा का संदेश


(वाटिकन सिटी 3 मार्च सेदोक वीआर अंगेजी) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने फिलीपीन्स के 27 धर्माध्यक्षों को पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात की समाप्ति पर गुरूवार को वाटिकन में सामूहिक रूप से सम्बोधित किया। उन्होंने धर्मशिक्षा देने, युवा पुरोहितों के प्रशिक्षण एवं पुरोहितों को दी जानेवाली देखरेख की जरूरत पर बल दिया। पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात का अर्थ है कि हर पाँच वर्ष में हर धर्माध्यक्ष का कर्तव्य है कि वह रोम आये तथा संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी, संत पापा के साथ निजी मुलाकात कर उन्हें अपने धर्मप्रांत की स्थिति की जानकारी दे।

संत पापा ने फिलीपीन्स के धर्माध्यक्षों के सामने धर्मशिक्षा देने के मामले में आनेवाली चुनौतियों को रखते हुए कहा कि लोगों की गहन निजी उदारता को समर्थन और पोषण दिया जाना है जो विश्वास और नैतिकता के मामले में, कलीसिया की शिक्षा की सराहना करती तथा गहन समझदारी से समर्थन पाती है।

धर्माध्यक्षों के मेषपालीय कामों की सराहना करते हुए संत पापा ने अनेक धर्मसमाजी धर्मबहनों तथा लोकधर्मी धर्मशिक्षकों को धन्यवाद दिया जो इस महान काम में धर्माध्यक्षों की सहायता करते हैं। संत पापा ने युवा पुरोहितों के प्रशिक्षण के लिए चलाये जा रहे प्रोग्रामों का विशेष रूप से उल्लेख किया जो उन्हें सेमिनरी के नियमित दिनचर्या से परे जाकर अधिक स्वतंत्र पल्ली जीवन में शामिल होने के लिए सहायता कर रही हैं। संत पापा ने कहा कि युवा पुरोहितों के लिए यह अधिक हितकर होगा कि बुजुर्ग पुरोहित उनके प्रेरक बन उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करें। पुरोहितों के लिए नियमित रूप से उपलब्ध करायी जा रही सहायता का प्रसार किये जाने पर जोर देते हुए संत पापा ने कहा कि मनन चिंतन के नियमित दिन हों, वार्षिक आत्मिक साधना और सम्मेलन हों तथा उन पुरोहितों के लिए शिक्षा और सहायता उपलब्ध करायी जाये जो कठिनाईयों का सामना करते हैं।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को वार्षिक रूप से मनाये जानेवाले पवित्र वृहस्पतिवार के समारोह से लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि इन दिनों में कलीसिया विशेष रूप से पुरोहिताई का समारोह मनाती है। अंत में संत पापा ने धर्माध्यक्षों को संवाद करते रहने तथा सब पड़ोसियों को ईश्वर के प्रतिरूप में सृष्ट प्राणी के रूप में स्वीकार करते हुए दीर्घकालीन शांति और सत्य के पथ पर चलते रहने के लिए प्रोत्साहन दिया।








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