2011-03-02 12:46:02

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
2 मार्च, 2011


रोम, 2 मार्च, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में हम एक फ्रांसिस डे सेल्स के जीवन पर मनन-चिन्तन करें। फ्रांसिस डे सेल्स कलीसिया की एक महासभा ‘कौंसिल ऑफ ट्रेंट’ के बाद एक अति प्रभावकारी धर्माध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू के रूप में उभरे थे।

उन्होंने युवाकाल में ईश्वर के ओर से प्राप्त होने वाली दिव्य मुक्ति और आध्यात्मिक शक्ति का गहरा अनुभव किया और एक पुरोहित बने।

बाद में उन्हें उस समय जेनेवा का धर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया जब उस क्षेत्र में काल्विनवाद का बोलबाला था जो भगवान की पूर्ण संप्रभुता और मानव के कार्यों की निरर्थकता पर जोर देती थी।

ऐसे समय में फ्रांसिस डे सेल्स की शिक्षा, उनकी दयालुता, धार्मिकता, वार्ता के समर्थन और प्रभावपूर्ण आध्यात्मिक निर्देशन ने उन्हें प्रसिद्धि की पराकाष्ठा तक पहुँचाया।

उन्होंने जो आध्यात्मिक किताब लिखे उनमें ‘इन्ट्रोडक्शन टू द डिभावट लाइफ’ अर्थात् ‘भक्तिपूर्ण जीवन का एक परिचय’ बहुत प्रसिद्ध हुआ।

इस किताब में उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि प्रत्येक ख्रीस्तीय को ईश्वर बुलाते हैं ताकि वे जहाँ भी हों, पूर्णता प्राप्त करें। विदित हो द्वितीय वाटिकन महासभा ने भी पूर्णता की इसी सार्वभौमिक बुलाहट के लिये लोगों को आमंत्रित किया था।

फ्रांसिस डे सेल्स की दूसरी कृति ‘ट्रिटीज़ ऑन द लव ऑफ गॉड’ अर्थात् ‘ईश्वरीय प्रेम के बारे में विचार’ में उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि हम खुद की पहचान और सच्ची स्वतंत्रता, ईश्वर के प्रेम में प्राप्त करते हैं। संत फ्रांसिस डे सेल्स का ख्रीस्तीय मानववाद आज भी प्रासांगिक है।

आज हम प्रार्थना करें कि कलीसिया के इस महान् आचार्य की बातें हमारा मार्गदर्शन करे ताकि हम जीवन की उस खुशी और स्वतंत्रता को पायें जो ईश्वरीय प्रेम से प्राप्त होती है और इस तरह से हम पूर्णता की प्राप्ति कर सकें।


इतना कह संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने गायक मंडली के गानों की प्रशंसा की।

उन्होंने संत मेरीस यूनिवर्सिटी कॉलेज ट्विकेनहम, डेनमार्क के संत नोरबेर्टस कॉलेज के विद्यार्थियों, फिनलैंड, आयरलैंड, स्वीडेन, सिंगापुर और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।













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