नई दिल्लीः भारतीय दलितों ने चुनावों का किया बहिष्कार
नई दिल्ली, 02 मार्च सन् 2011 (ऊका समाचार): भारतीय दलित ख्रीस्तीयों एवं दलित मुसलमानों
का प्रतिनिधित्व करनेवाले दो दलों ने, उनके लिये सरकारी सुविधाएँ उपलब्ध न होने के विरोध
में, आगामी चुनावों के बहिष्कार का निर्णय लिया है।
नेशनल काऊन्सल ऑफ दलित क्रिस्टियन्स
तथा ऑल इन्डिया पासमान्दा मुसलिम महज़ ने नई दिल्ली में पहली मार्च को एक प्रेस सम्मेलन
बुलाकर अपने निर्णय का खुलासा किया।
भारत के ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दल दशकों
से अपने आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिये संवैधानिक तौर पर दलितों की दी जानेवाली सरकारी
सुविधाओं की मांग करते रहे हैं।
हिन्दु, बौद्ध एवं सिक्ख धर्मों के दलितों को
ये सुविधाएँ उपलब्ध हैं जबकि ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलितों को इन सुविधाओं से वंचित रखा
गया है तथा यह दलील दी जाती रही है कि ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्म में जातिवाद को मान्यता
नहीं दी जाती।
इस समय भारत के पाँच राज्य अर्थात असम, केरल, पुड्डुचेरी, तमिल
नाड तथा पश्चिम बंगाल चुनावों की तैयारी कर रहे हैं।
मुसलमान दलितों के नेता
तथा भारतीय सांसद अली अनवर अंसारी ने कहा कि यदि सरकार इस मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाती
है तो वे चुनावों का बहिष्कार कर देंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सहित सभी राष्ट्रीय पार्टियाँ
दलितों को सुविधाएँ प्रदान के पक्ष में है किन्तु केन्द्रीय सरकार जानबूझकर निष्क्रिय
है।
ख्रीस्तीय काऊन्सल के अध्यक्ष एम.मेरी जॉन ने कहा कि ख्रीस्तीय एवं मुसलमान
दलितों के मुद्दे पर काँग्रेस पार्टी सबसे बड़ा अवरोध है। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं,
बौद्धों एवं सिक्खों को सुविधाएं प्रदान करते समय सरकार ने किसी प्रकार के खास दस्तावेज़
की मांग नहीं की थी जबकि अब वह प्रमाण के लिये यथार्थ दस्तावेज़ों की मांग कर रही है।
इस बीच, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के दलित एवं आदिवासी समुदायों के
हितों की रक्षा के लिये गठित आयोग के अध्यक्ष फादर कोसमोन आरोक्यराज ने बताया कि तमिल
नाड के दलित ख्रीस्तीय, सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में, मतदान नहीं करेंगे क्योंकि उसने
उनके हितों का ख्याल नहीं रखा।