2011-02-28 17:50:08

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 27 फरवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज की पूजनधर्मविधि में पवित्र धर्मशास्त्र बाइबिल के सर्वाधिक प्रभावित करनेवाले संदेशों की प्रतिध्वनि है। इसे पवित्र आत्मा ने तथाकथित दूसरे इसायस के लेख के द्वारा दिया है जो दुर्भाग्यों के कारण निराश येरूसालेम को सांत्वना देते हैं, अपनी मनोभावना को इस प्रकार व्यक्त करता है- क्या स्त्री अपना दुधमुँहा बच्चा भुला सकती है क्या वह अपनी गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी यदि वह भुला भी दे तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊंगा। (इसायस 49- 15)

ईश्वर का अनन्त प्रेम पर भरोसा करने का निमंत्रण को संत मत्ती रचित सुसमाचार के विचारोत्तेजक पृष्ठ से बहुत समर्थन मिलता है जिसमें येसु अपने शिष्यों से कहते हैं कि वे स्वर्गिक पिता के पूर्वप्रबंध पर भरोसा रखें जो आकाश के पक्षियों को खिलाते हैं, खेत के फूलों को सजाते हैं और हमारी हर जरूरत को जानते हैं। प्रभु स्वयं इस प्रकार अभिव्यक्त करते हैं- इसलिए यह कहते हुए चिन्ता मत करो- हम क्या खायें, क्या पियें, क्या पहनें। इन सब चीजों की खोज में गैर यहूदी लगे रहते हैं। तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें इन सभी चीजों की जरूरत है।

अनेक लोग, जो निकट हैं या दूर हैं, हम उनकी परिस्थिति को देखते हैं जो दयनीय अवस्था में जीवन जीते हैं येसु का यह प्रवचन यदि पलायनवादी नहीं भी है तो भी बहुत वास्तविक प्रतीत नहीं हो सकता है। वास्तव में प्रभु चाहते हैं कि हम स्पष्ट रूप से समझें कि हम दो मालिकों, ईश्वर और धन, की सेवा नहीं कर सकते हैं।

जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास करता है, ईश्वर जो अपनी संतान के लिए प्यार से भरे पिता हैं, वह व्यक्ति ईश्वर के राज्य की खोज को, ईश्वर की इच्छा को पहला स्थान देता है। और यह वस्तुतः भाग्यवाद या निराशावाद के विपरीत है। ईश्वर के पूर्वप्रबंध पर विश्वास करना वस्तुतः हमें हमारे मर्यादापूर्ण जीवन जीने के लिए किये जानेवाले संघर्षों से छूट नहीं देता है लेकिन यह हमें वस्तुओं के प्रति चिंता और आनेवाले कल के भय से मुक्त करता है। यह स्पष्ट है कि येसु की यह शिक्षा यद्यपि सदैव सही और सबके लिए वैध है इसका अभ्यास विभिन्न प्रकार की बुलाहटों के अनुरूप विभिन्न तरीके से किया जाता है। एक फ्रांसिस्कन बंधु इसका अनुसरण अधिक क्रांतिकारी तरीके से कर सकता है जबकि परिवार के एक पिता को अपनी पत्नी और बच्चों के प्रति अपने कर्तव्य को ध्यान में रखना होगा।

हर मामले में तथापि, ईसाई की यही विशिष्टता होगी कि वह स्वर्गिक पिता पर पूर्ण भरोसा रखता है जैसा कि यह येसु के लिए था। यह वास्तव में पिता ईश्वर के साथ संबंध है जो येसु के सम्पूर्ण जीवन, उनके शब्दों, मुक्ति संबंधी उनके संकेतों, उनके दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान को अर्थ प्रदान करता है। येसु ने हमारे लिए प्रदर्शित किया है कि धरती पर अपने पाँव को मजबूती से रखने, अपने पड़ोसी की ठोस परिस्थितियों के प्रति सजग रहने तथा उसी क्षण ईश्वर की दया में पूरी तरह डूबकर अपनी आत्मा को सदैव स्वर्ग की ओर करके जीवन जीने का क्या अर्थ होता है।

प्रिय मित्रो, इस रविवार के लिए निर्धारित ईशवचन के प्रकाश में मैं आपको आमंत्रित करता हूँ कि दिव्य पूर्वप्रबंध की माता, कुँवारी माता मरियम का आह्वान करें। उन्हें हम अपना जीवन सौंप दें जो कलीसिया का मार्ग तथा घटनाओं का इतिहास हैं। विशिष्ट रूप से हम उनकी मध्यस्थता की याचना करते हैं ताकि हम सब अपने दैनिक उद्यमों तथा सृष्टि के प्रति सम्मान में जिसे ईश्वर ने हमारी देखरेख के सिपुर्द किया है, हमसब और अधिक सरल तथा सौम्य जीवन शैली में जीवन जीना सीख सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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