वाटिकन सिटीः चालीसाकाल अन्तःकरण की जाँच का समय, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
वाटिकन सिटी, 23 फरवरी, सन् 2011 (सेदोक): ख्रीस्तीय चालीसाकाल अन्तःकरण की जांच तथा
हिंसा के मूलकारण अर्थात् स्वार्थ के परित्याग का समय है। सबकुछ हथियाने या हड़पने की
हवस हिंसा, शोषण और हत्या को प्रश्रय देती है इसीलिये चालीसाकाल के दौरान कलीसिया उदार
कार्यों एवं भिक्षादान पर बल देती है।
मंगलवार, 22 फरवरी को, वाटिकन प्रेस ने
एक पत्रकार सम्मेलन में चालीसाकाल सन् 2011 के लिये सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश
की प्रकाशना की। इस वर्ष, नौ मार्च को राख बुध की धर्मविधि के साथ ख्रीस्तीय धर्मानुयायी
चालीसा काल आरम्भ कर रहे हैं।
सन्त पापा के सन्देश की प्रकाशना करते हुए वाटिकन
के कल्याणकारी कार्यों का समन्वयन करनेवाली समिति "कोर ओनुम" परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष
कार्डिनल रॉबर्ट साराह ने कहा, "अत्यन्त दरिद्रता आर्थिक और राजनैतिक अस्थायित्व को जन्म
देती तथा संघर्षों एवं उथल पुथल के लिये जगह तैयार करती है जिससे लोगों और, विशेष रूप
से, दुर्बलों की कठिनाईयाँ और अधिक बढ़ जाती हैं।"
कार्डिनल महोदय ने कहा कि सन्त
पापा ने अपने सन्देश में इस बात पर बल दिया है कि "वचनों एवं संस्कारों में प्रभु ख्रीस्त
का साक्षात्कार कर मनुष्य करूणा और दया के कार्यों हेतु प्रेरणा पाता है।"
सन्
2011 के चालीसाकालीन सन्देश का शीर्षक कोलोसियों को लिखे सन्त पौल के पत्र से लिया गया
हैः "बपतिस्मा में तुम उनके साथ मर गये और बपतिस्मा में ही तुम उनके साथ जिलाये भी गये
हो।" सन्त पापा कहते हैं कि चालीसाकाल वह विशिष्ट समय है जिसमें लोग अपने आप को बपतिस्मा
के लिये तैयार कर सकते अथवा बपतिस्मा के अवसर पर प्रभु येसु ख्रीस्त के अनुसरण हेतु की
गई प्रतिज्ञा को सुदृढ़ कर सकते हैं।
सन्त पापा लिखते हैं: "यह तथ्य कि बपतिस्मा
प्रायः बाल्यकाल में दिया जाता है इस बात पर बल देता है कि बपतिस्मा संस्कार ईश्वर का
वरदान है।" वे कहते हैं: "अपने ख़ुद के प्रयासों द्वारा कोई भी व्यक्ति अनन्त जीवन प्राप्त
नहीं कर सकता।"