2011-02-23 19:46:30

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
23 फरवरी, 2011


रोम, 23 जनवरी, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में हम एक जेस्विट ईशशास्त्री और धर्माचार्य संत रोबर्ट बेलार्मिन के जीवन पर मनन-चिन्तन करें।

कलीसिया की एक महासभा कौंसिल ऑफ ट्रेंट के बाद संत रोबर्ट बेलार्मिन लूवेन और बाद में रोमन कॉलेज में ईशशास्त्र पढ़ाया करते थे।

उन्होंने जो ‘द कन्ट्रोवर्सी’ नामक एक किताब लिखी जिसमें उन्होंने उन प्रश्नों का उत्तर दिया जो ऐतिहासिक और ईशशास्त्रीय परिपेक्ष में प्रोटेस्टंट थियोलॉजी से उत्पन्न हुए थे।

इसके अलावा जिस किताब के लिये संत रोबर्ड बेलारमिन आज भी याद किये जाते हैं वह है - ईसाई सिद्धांतों के बारे में उनकी संक्षिप्त धर्मशिक्षा।

उन्होंने रोमन कॉलेज में अध्ययन कर रहे जेस्विटों के आध्यात्मिक निदेशक के रूप में भी कार्य किया। ज्ञात हो कि एक दूसरे जेस्विट संत अलोइसियुस गोंजागा के भी वे आध्यात्मिक मार्गदर्शक रहें।
संत पापा क्लेमेंट अष्टम् ने उन्हें कार्डिनल बनाया और कापुआ का महाधर्माध्यक्ष बनाया।

कापुवा में तीन साल तक प्रेरितिक कार्य करने बाद में उन्हें फिर रोम बुला लिया गया ताकि वे काथलिक परमधर्मपीठ को अपनी सेवा दे सकें।

उन्होंने संत इग्नासियुस की प्रशिक्षण के आधार पर कई आध्यात्मिक लेख लिखे उनमें उन्होंने जिन बातों पर बल दिया है वे हैं - येसु मसीह के जीवन का रहस्य और उनका अनुसरण।

आज संत रोबर्ट बेलारमिन का जीवन हमें प्रेरित करे ताकि हम अपने कार्यों को बखूबी कर ख्रीस्तीय पवित्रता को प्राप्त करें, प्रार्थना के सहारे ईश्वरीय प्रेम में बढ़ें कलीसियाई नवीनीकरण करें और आन्तरिक परिवर्त्तन कर ईश्वर की ओर लौटें तथा उसकी वाणी पर आस्था रखें।

इतना कह संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने न्यूजीलैंड में आये भारी भूकम्प से मरे लोगों और दुःखित परिवारों तथा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों के लिये के लिये प्रार्थना कीं।

उन्होंने इंगलैंड, आयरलैंड, स्वीडेन, जापान, कनाडा और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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