" आध्यत्मिक और ईशशास्त्रीय पौढ़ता " प्राप्त करें –पोप
वाटिकन सिटी, 21 फरवरी, 2011 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पुरोहितों को प्रोत्साहन
देते हुए कहा कि " आध्यत्मिक और ईशशास्त्रीय पौढ़ता " प्राप्त करें ताकि वे विशाल दिल
वाले पुरोहित बन कर भविष्य का सामना कर सकें।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं
जब उन्होंने शनिवार 19 फरवरी को पोंतिफिकल फिलिपीनो कॉलेज के विद्यार्थियों और अध्यापकों
को संबोधित किया।
विदित हो कि यह साल फिलीपीनो कॉलेज की स्थापना का 50वाँ साल
है। धन्य पोप जोन तेइसवें ने 50 वर्ष पूर्व इस कॉलेज की स्थापना की थी।
संत पापा
ने छात्रों को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि वे " विश्वास में बढ़ें " और अपने अध्ययन में
उत्कृष्ट रहें।"
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को चाहिये कि " वे हर अवसर का
सदुपयोग करें और आध्यात्मिक और ईशशास्त्रीय प्रौढ़ता प्राप्त करें ताकि वे हर तरह से
प्रशिक्षित होकर भविष्य में हर परिस्थिति का सामना बखूबी कर सकें। "
रोम के शहीदों
की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि " मुझे पूरा विश्वास है कि प्रत्येक जन येसु के साथ
अपनी एकात्मकता के रहस्य से प्रेरित होकर येसु के पूर्ण बनने के आमंत्रण को स्वीकार
करे और ईश्वर को अपने पुरोहितीय जीवन और सेवा को उपहार स्वरूप चढ़ाये।" संत पापा
ने कहा कि वे अपने समय का सदुपयोग करें। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे " स्थानीय
प्रेरितिक कार्यों और शैक्षणिक ज़रूरतों में सामंजस्य बनाये रखें ताकि यह सबके लिये हितकारी
हो। "
पोप ने फिलिपीनो विद्यार्थियों को स्मरण दिलाया कि वे यह न भूलें कि रोम
में पढ़ने का उनका अवसर एक विशेष वरदान है।
उन्होंने कहा " उनके दिल में फिलिपीन्स
के लिये विशेष स्थान है। और इसीलिये अपनी पढ़ाई समाप्त कर जब वे स्वदेश लौटें तो संत
पेत्रुस के उत्तराधिकारी को न भूलें।"
संत पापा ने कहा कि " वे यह न भूलें कि
उन्हें सदा ही कलीसिया और संत पापा से जुड़े रहना है और अपने प्रिय देश में सुसमाचार
का प्रचारक बनना है।"