, 19 फरवरी, 2011(ज़ेनित) संत पापा जोन पौल द्वितीय पर हाल में प्रकाशित किताब ‘शोक बोयतिल्लाःलिनित्सो
देल पोन्तिफिकातो’ अर्थात् ‘वोयतिल्ला सदमाः संत पापा के कार्यकाल की शुरूआत ’ संत पापा
जोन पौल द्वितीय के पोप बनने पर विश्व स्तर पर की गयी प्रतिक्रियाओं का एक संकलन है।
पोलैंड निवासी कारोल वोयतिल्ला के संत पापा बनने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते
हुए तत्कालीन वाटिकन सचिव कार्डिनल अगोस्तिनो कासारोली ने कहा था कि " कार्डिनलों के
साहस की दाद देनी होगी जिन्होंने एक ऐसे देश से संत पापा को चुना है जो एक लोहे के पर्दे
के उस पार है।" उक्त बात की जानकारी धर्माध्यक्षों की समिति के पूर्व प्रीफेक्ट कार्डिनल
जियोवन्नी बत्तिस्ता ने उस समय दी जब रोम में बुधवार 16 फरवरी को, पुस्तक को लोगों के
लिये प्रस्तुत किया गया। इतालवी भाषा में छपी इस किताब को सान पौलो पब्लिकेशन्स ने मार्को
इमपालियत्सो के सहयोग से प्रकाशित किया है। इस किताब में 16 अक्तूबर सन् 1978 में
संत पापा के चुनाव की घोषणा पर विश्व के नेताओं की प्रतिक्रियों की चर्चा 15 विभिन्न
लेखकों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से की है। इस किताब में जिन विचारों को शामिल किया
गया है उनमें काथलिक कलीसिया के विचार, आम जनमत, मीडिया और अंतरराष्ट्रीय रिश्ते के संबंध
में व्यक्त किये विचारों को जगह दी गयी है। सान एजिदियो समुदाय के संस्थापक और लेखक
अंद्रेया रिक्कारदी ने बताया कि यह किताब इतालवी धर्माध्यक्षीय समिति के सहयोग से संत
जोन पौल द्वितीय के शासन काल के इतिहास के बारे छापी जाने वाली एक बड़ी श्रृंखला की पहली
कड़ी है। उन्होंने बताया कि एक अब समय आ गया है जब हम बोयतिल्ला के शासनकाल की भावनात्मक
बातों से ऊपर उठकर उसके कार्यकाल पर ऐतिहासिक खोज़ करें। उन्होंने यह भी बताया कि
" संत पापा जोन पौल द्वितीय का चुना जाना एक ओर यह एक गहरा झटका तो था पर दूसरी ओर काथलिक
कलीसिया में आये संकटों का इलाज भी।" पूर्वी यूरोम मे " साम्यवादी ताकतों से लोग
भयभीत थे और सोचने लगे थे चर्च का भविष्य धुँधला है पर वोयतिल्ला ने आशा का संचार किया।"