2011-02-18 16:52:47

पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात की समाप्ति पर फिलीपीन्स के धर्माध्यक्षों के लिए संत पापा का संदेश


(वाटिकन सिटी 18 फरवरी सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात करने के लिए आये फिलीपीन्स के 27 धर्माध्यक्षो को शुक्रवार को वाटिकन स्थित कनसिसटरी सभागार में सामूहिक रूप से सम्बोधित किया। उन्होंने धर्माध्यक्षों तथा फिलीपीन्स के विश्वासी समुदाय को उनके मसीही विश्वास के लिए धन्यवाद देते हुए यह कामना की कि संत पापा और धर्माध्यक्षों तथा विश्वासियों के मध्य सामुदायिकता और एकता की भावना निरंतर मजबूत होती रहे।

संत पापा ने फिलीपीन्स में आर्थिक विकास के क्षेत्र में विद्यमान अनेक चुनौतियों पर गौर करते हुए कहा कि खुशी और परिपूर्ण जीवन जीने के मार्ग में केवल यही बाधाएँ नहीं हैं जिनका सामना कलीसिया को करना है लेकिन आज फिलीपीन्स की संस्कृति के सामने गहन सूक्ष्म सवाल हैं जो धार्मिक उदासीनता, भौतिकवाद तथा उपभोगतावाद में निहित हैं।

उन्होंने कहा कि आत्म पर्याप्तता और स्वतंत्रता को ईश्वर पर निर्भरता और ईश्वर के साथ संयुक्त होने से अलग किया जाता है तो मानव अपने लिए झूठी नियति की रचना करता है और अनन्त जीवन के दर्शन को खो देता है जिसके लिए वह सृष्ट किया गया है। संत पापा ने कहा कि मानवजाति की सच्ची नियति की पुर्नखोज पायी जा सकती है जब हर व्य़क्ति के मन और दिल में ईश्वर को प्राथमिकता देने की पुर्नस्थापना हो।

संत पापा ने विश्वासियों को अपने जीवन में ईश्वर को केन्द्रीय स्थान देने तथा पुरोहितों और धर्माध्यक्षों को भी अपने प्रवचनों में केन्द्रित होने के लिए प्रोत्साहन दिया ताकि विश्वासी जन अपने अंतरतम में ईश्वर की उपस्थिति को महसूस कर सकें।

देश भर में विभिन्न कलीसियाई समुदायों के सकारात्मक प्रभावों तथा स्थानीय कलीसिया के साथ संयुक्त होकर सुसमाचार प्रचार के लिए उनके द्वारा दिये जानेवाले योगदान की सराहना करते हुए संत पापा ने जोर दिया कि लोकधर्मी सुसमाचार को इसकी परिपूर्णता में सुनें, उनके निजी जीवन तथा समाज में इसके असर को समझें तथा निरंतर ईश्वर की ओर आयें।

संत पापा ने फिलीपीन्स में युवा प्रेरिताई के लिए किये जा रहे कार्य़ों और युवाओं के जीवन में विश्वास के महत्व की सराहना की। उन्होंने युवाओं के मध्य सुसमाचार का प्रचार करने, येसु के साथ निजी संबंध स्थापित करने के लिए युवाओं को प्रोत्साहन देने और पौरोहितिक बुलाहटों तथा धर्मसमाजी जीवन के लिए भी काम करने पर बल दिया ताकि विभिन्न भागों में प्रेरिताई कामों को पूरा करने के लिए पुरोहितों और धर्मसमाजियों की कमी दूर हो सके।








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