वाटिकन सिटी, 14 फरवरी,2011(ज़ेनित) संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष
कार्डिनल जियानफ्रांको रवासी ने कहा है कि " वार्ता सिर्फ़ विश्वासियों और अविश्वासियों
के बीच सीमित होकर न्यूनतम सामूहिक समझौते की बात न सोचे पर मानव जीवन की मूलभूत चुनौतियों
का समाधान खोजे।"
कार्डिनल रवासी ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन
रेडियो में हुए साक्षात्कार में अविश्वासियों के साथ आपसी वार्ता की बात दुहरायी।
ज्ञात हो कि संस्कृति के लिये बनी समिति को इस बात की भी ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है
कि वह वाटिकन में बनाये गये एक नये ढाँचे " कोर्ट ऑफ जेनटाइल्स " के तहत् विश्वासियों
और अविश्वासियों के बीच वार्ता के लिये कार्य करे।
विदित हो कि वार्ता के लिये
ऐसी कार्ययोजना 21 दिसंबर 2009 में बनी थी जब संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने मन कूरिया
को संबोधिक करते हुए ‘कोर्ट ऑफ जेनटाइल्स’ के बार में चर्चा की थी।
‘कोर्ट ऑफ
जेनटाइल्स’ येरूसालेम के प्राचीन मंदिर में निर्धारित उस जगह को इंगित करता है जो सिर्फ़
यहूदियों के लिये केवल सुरक्षित नहीं थी वरन् सबके लिये खुली थी चाहे वह किसी भी धर्म
या संस्कृति का क्यों न हो।
कार्डिनल रवासी ने कहा कि येसु ने मंदिर के प्रांगण
की सफाई की थी ताकि " उस जगह का उपयोग जेन्टाइल्स कर सकें - जो एकांत में ईश्वर के साथ
समय बिताना चाहते थे।"
यद्यपि इस स्थान से मंदिरगर्भ में हो रहे पूजन-विधियों
में पूर्ण रूप से सम्मिलित संभव नहीं था पर यह भाग उनके लिये अलग कर दिया गया था।
उस दिन संत पापा ने कहा था कि " मुझे लगता है कि काथलिक कलीसिया को चाहिये कि वे
‘कोर्ट ऑफ जेनटाइल्स’ के समान ही एक स्थान खोल दिया जाये ताकि वे उस ईश्वरीय रहस्य को
बिना जाने ही इसमें सम्मिलित हो सके जिसके आन्तरिक जीवन की सेवा के लिये कलीसिया सदा
तैयार है।"
‘कोर्ट ऑफ जेनटाइल्स’ नामक जिस ढाँचे का काथलिक कलीसिया ने निर्माण
किया है, इसका अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विधिवत उद्घाटन पेरिस में पर 24-25मार्च को किया
जायेगा।
कार्डिनल रवासी ने बताया कि वे चाहते हैं कि " अविश्वासियों के साथ
वार्ता में मानवशास्त्रीय अच्छाई और बुराई, जीवन और मरण, प्रेम व पीड़ा और बुराई के अर्थ
जैसे विषयों पर भी विचार हो, जो मानव अस्तित्व के आधार हैं।"