2011-02-10 12:05:53

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
2 फरवरी, 2011


वाटिकन सिटी, 2 फरवरी, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।


उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम अविला की संत तेरेसा के जीवन के बारे में मनन-चिन्तन करें। संत तेरेसा 16वीं शताब्दी में कार्मेल धर्मसमाज की एक महान् समाजसुधारक थीं जिन्हें संत पापा पौल छठवें ने ‘डॉक्टर ऑफ द चर्च’ घोषित किया।

संत तेरेसा ने अविला के कार्मेल धर्मसमाज में उस समय प्रवेश किया जब वह 20 साल की थी। अपने आध्यात्मिक जीवन में अपने आपको सुदृढ़ करते हुए उन्होंने संत जोन द क्रॉस की सहायता से अपने धर्मसमाज के नवीनीकरण का बीड़ा उठाया।

दोनों संतों ने मिलकर पूरे स्पेन में कार्मेल धर्मसमाज को नया और स्थिर किया। उनकी किताबें विशेषकर के उनकी आत्मकथा ‘द वे ऑफ परफेक्शन’ अर्थात् ‘परिपूर्णता का मार्ग’ और ‘दि इनटिरियर कैसल’ अर्थात् ‘आंतरिक क़िला’ बहुत प्रभावशाली किताब माने जाते हैं।

इन किताबों में उनके जीवन के गहरे अनुभवों और ख्रीस्त पर केन्द्रित आध्यात्मिकता को आसानी से देखी जा सकती है।

संत तेरेसा इस बात का प्रचार करतीं थीं कि मानवीय और सुसमाचारी मूल्य ही सच्चे या प्रमाणिक ख्रीस्तीय जीवन के आधार हैं।

उन्होंने येसु की मानवता को गहराई से पहचाना और इस बात पर जोर दिया कि लोग येसु के दुःख और उनके वास्तविक उपस्थिति पर गहन चिन्तन करें। संत तेरेसा के लिये प्रार्थना येसु के साथ अति आत्मीय संबंध था जो उन्हें पवित्र तृत्व के साथ प्रगाढ़ संबंध स्थापित करने को प्रेरित करता था।

अपने जीवन के अंतिम साँस तक संत तेरेसा ने कलीसिया से अपार प्रेम किया।

आज हम प्रार्थना करें कि संत तेरेसा का आदर्श जीवन और उनकी प्रार्थनायें हमें प्रेरित करें ताकि हमारा जीवन प्रार्थनामय हो और हम येसु और कलीसिया के प्रति वफदार रहें और हम अपना जीवन पड़ोसियों की सेवा में लगा सकें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने नॉरवे, नाइजीरिया, अमेरिका तथा देश-विदेश से एकत्रित तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।












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