2011-02-08 12:09:39

भारतः बैंगलोर महाधर्माध्यक्ष के अनुसार कर्नाटक में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा पर रिपोर्ट झूठ से भरी


नई दिल्ली, 8 फरवरी 2011 (एशियान्यूज़): कर्नाटक के काथलिकों ने सन् 2008 एवं सन् 2009 के दौरान हुई ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा पर न्यायमूर्ति सोमशेखर के नेतृत्व वाले जाँच आयोग की रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दर्शाई है।

बैंगलोर के काथलिक महाधर्माध्यक्ष बर्नाड मोरस ने शनिवार को एक प्रेस सम्मेलन में कहा कि रिपोर्ट झूठ से भरी है तथा विभाजन एवं अत्याचार को प्रश्रय दे सकती है।

कर्नाटक काथलिक धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष मोरस ने रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण निरूपित किया क्योंकि इसमें ख्रीस्तीयों को “The others” अथवा "अन्य" नाम से पुकारा गया है। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि रिपोर्ट में सामान्यता भरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यद्यपि इस तथ्य को स्वीकारा गया है कि ख्रीस्तीयों पर हमलों की योजना पहले से बनाई गई थी तथापि षड़यंत्र रचनेवाले किसी भी व्यक्ति, संघ या दल का नाम नहीं लिया गया है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विदेशों से आये धन से प्रचार किया जाता तथा लोगों को धर्मान्तरण के लिये प्रेरित किया जाता है अतः इन गतिविधियों एवं ख्रीस्तीय आराधनालयों को नियंत्रण में रखने के लिये विशेष कानूनों की ज़रूरत है, इस पर अपनी प्रतिक्रिया दर्शाते हुए महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार की टीका से यह प्रतीत होता है मानो ख्रीस्तीयों के आराधना स्थल भक्ति के स्थल न होकर असामाजिक कृत्यों का अड्डा हों।

इसके अतिरिक्त महाधर्माध्यक्ष मोरस ने शिकायत की कि रिपोर्ट में राज्य के अधिकारियों की स्थिति को सही बताया गया जबकि उन्होंने ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा को रोकने के कोई उपाय नहीं किये। उन्होंने इस बात की ओर भी ध्यान आकषित कराया कि रिपोर्ट में पुलिस समर्थित राज्य की वकालात की गई है जो अत्यन्त ख़तरनाक है क्योंकि धार्मिक संघर्षों को सुलझाने के लिये यदि विशिष्ट पुलिस की नियुक्ति की गई तो भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में बहुलता एवं विविधता का कोई स्थान नहीं रह जायेगा।

अपने वकतव्य में महाधर्माध्यक्ष मोरस ने कर्नाटक सरकार का आह्वान किया कि वह ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के प्रकरण को सी.बी.आय. को सौंपे ताकि ख्रीस्तीय गिरजाघरों एवं ख्रीस्तीय जनता पर हुए हमलों के विषय में सत्य का पता लगाया जा सके तथा अपराधियों के विरुद्ध कानूनन कार्रवाई की जा सके।







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