2011-02-07 19:53:31

पद्मश्री पुरस्कार का सम्मान आदिवासी समुदाय को समर्पित


अंडामंस, 7 जनवरी, 2011(उकान) ओनजीस आदिवासियों के कार्यरत पद्मश्री पुरस्कार जीतने वाली 35 वर्षीय तेरेसा लकड़ा ने अपने पुरस्कार को आदिवासी समुदाय को ही समर्पित किया है।
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि " वे आजीवन ओनजीस समुदाय के लिये ही समर्पित रहेंगी।"
उन्होंने बताया कि " यह पद्मश्री उनके ईमानदारीपूर्ण सेवा का पुरस्कार है और वे चाहतीं है कि ऐसे ही अनगिनत निःस्वार्थ भाव से कार्य करने वालों की पहचान की जाये और उन्हें पुरस्कार मिले।"
विदित हो कि शांति तेरेसा लकड़ा ने अंडामंस के दुगोन्ग क्रीक नामक एक छोटे से द्वीप में लुप्त होने के कग़ार पर पहुँची ओनजीस आदिवासियों के बीच 10 वर्षों से अपनी सेवायें देती रहीं।
अंडामन्स की इस आदिम जाति के परिवारों तक पहुँचने के लिये शांति को दो नदियों और घने जंगल पार करना पड़ता था।
शांति ने बताया कि कई बार अपने नवजात शिशु को घर में छोड़कर वह इन आदिवासियों की सेवा के लिये निकल जाया करतीं थीँ।
ज्ञात हो कि ओनजीस नामक यह आदिवासी समुदाय ने सुनामी के बाद दुगोंग क्षेत्र में बसा हुआ है। इनका रंग काला, आँखे लाल और बाल घुँघरैला है। इनकी भाषा समझना कठिन है।
शांति लकड़ा ने बताया कि जब उन्होंने सन् 2001 में ओनजीस समुह को स्वास्थ्य सेवा देना आरंभ किया था तब उनकी संख्या 78 से बढ़कर 100 हो गयी थी पर फिर उनकी संख्या घटकर 72 हो गयी है क्योंकि कई लोगों की मृत्यु विषैले जल पीने के कारण हो गयी।
ग़ौरतलब है कि सन् 2010 में श्रीमती शांति ग्रेस लकड़ा को नैशनल फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। श्रीमती लकड़ा ने बताया कि उनके पति ने सदा ही उसके कामों में उसे प्रोत्साहन दिया है।
अपने आरंभ के अनुभव को बताते हुए उसने कहा कि शुरु में गर्भवती महिलायें नर्स पर विश्वास नही करतीं थीं। उनका सोचना था कि दूसरों के छूने से बच्चों की मृत्यु हो जाती है। पर समय बीता और शांति ने ओनजीस समुदाय के बीच अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया।
श्रीमती लकड़ा का तबादला एक सरकारी अस्पताल में हो गया है और उन आदिवासियों के लिये एक विशेष विभाग खोल दिया गया है ताकि उनके लिये विशेष चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जा सके।












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