2011-02-07 16:36:02

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 6 फरवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

इस रविवार के सुसमाचार पाठ में प्रभु येसु अपने शिष्यों को बताते हैं- तुम पृथ्वी के नमक हो, तुम संसार की ज्योति हो। इन प्रतीकों के द्वारा जो अर्थ में बहुत समृद्ध हैं वे उन्हें उनके मिशन और इसके साक्ष्य देने के बारे में बताना चाहते हैं। मध्य पूर्वी संस्कृति में नमक के विभिन्न अर्थ हैं- गठबंधन, सह्दयता, जीवन और प्रज्ञा।

सृष्टिकर्ता ईश्वर का पहला काम जीवन है, जो जीवन के स्रोत हैं। ईश्वर के वचन की तुलना ज्योति के साथ की गयी है जैसा कि स्तोत्र ग्रंथ के रचयिता स्तोत्र 119 के 105 वें पद में कहते हैं- तेरी शिक्षा मुझे ज्योति प्रदान करती और मेरा पथ आलोकित करती है। और पुनः आज की पूजनधर्मविधि में नबी इसायस अध्याय 58 और 10 वें पद में कहते हैं- यदि तुम भूखों को अपनी रोटी खिलाओगे और पददलितों को तृप्त करोगे, तो अंधकार में तुम्हारी ज्योति का उदय होगा और तुम्हारा अंधकार दिन का प्रकाश बन जायेगा।

प्रज्ञा में नमक और ज्योति के लाभदायक प्रभावों का सार है। वस्तुतः प्रभु के शिष्यों का आह्वान किया जाता है कि वे संसार में नये स्वाद को लायें और ईश्वर की प्रज्ञा से इसे भ्रष्टाचार से बचायें। ईश्वर की प्रज्ञा, जो पुत्र के मुख पर चमकती है क्योंकि वही सच्चा प्रकाश हैं जो प्रत्येक मनुष्य का अंधकार दूर करती है। उनसे संयुक्त होकर हम ख्रीस्तीय, उदासीनता और अहंकार के मध्य, ईश्वर के प्रेम के प्रकाश को फैला सकते हैं, सच्ची प्रज्ञा जो विवेक प्रदान करती है और जो मानव के अस्तित्व और उसके कामों को अर्थ प्रदान करता है।

11 फरवरी को, लूर्द की माता मरियम के पर्व दिवस के दिन हम विश्व रोगी दिवस मनायेंगे। यह एक सार्थक अवसर है कि बीमार भाई-बहनों के प्रति चिंतन करें, प्रार्थना करें तथा नागर समाज और कलीसियाई समुदाय में जागरूकता बढा़यें। इस दिवस के संदेश में जो कि प्रेरित संत पेत्रुस के प्रथम पत्र की एक अभिव्यक्ति से उत्प्रेरित है मैं प्रत्येक जन को ईश पुत्र येसु पर मनन चिंतन करने के लिए आमंत्रित करता हूँ जिन्होंन पीड़ा सहा, मरे लेकिन जी उठे हैं। ईश्वर बुराई की आक्रामता के एकदम प्रतिकूल हैं। प्रभु हर परिस्थिति में मानव की देखरेख करते हैं पीड़ा को बाँटते हैं और आशा के लिए अपने दिल को खोलते हैं।
इसलिए मैं सब चिकित्साकर्मियों का आह्वान करता हूँ कि बीमार व्यक्ति में न केवल भंगुरता से अंकित शरीर को देखें लेकिन सबसे पहले व्यक्ति को देखें जिसके लिए पूर्ण सहृदयता दी जानी है और पर्याप्त तथा सक्षम प्रत्युत्तर दिया जाना है। इस परिप्रेक्ष्य में मैं यह भी देखता हूँ कि आज इटली में जीवन दिवस मनाया जा रहा है। मेरी आशा है कि प्रत्येक जन हर परिस्थिति में मानव प्राणी के मूल्य को केन्द्र में रख कर काम करे ताकि जीवन की संस्कृति बढ़े। तर्कणा और विश्वास के अनुसार व्यक्ति की मर्यादा को उसकी क्षमता या प्रदर्शित दक्षता के अनुसार कम नहीं किया जा सकता है और यह कम नहीं होती है जब व्यक्ति स्वयं कमजोर, विकलांग है और उसे सहायता की जरूरत है।

अतिप्रिय भाईयो और बहनो, कुँवारी माता मरिया की ममतामयी मध्यस्थता की हम याचना करें ताकि अभिभावक, दादा दादी, नाना नानी, शिक्षक, पुरोहित और जो लोग शिक्षण संस्थानों में काम करते हैं वे युवा पीढ़ी को हृदय की प्रज्ञा में प्रशिक्षित करें ताकि वे जीवन की परिपूर्णता प्राप्त कर सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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