2011-02-05 14:22:42

हर युवा धर्मशिक्षा की किताब को पढ़े- संत पापा


रोम, 5 फरवरी, 2011 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि युवाओं के लिये विशेष रूप से तैयार की गयी धर्मशिक्षा की किताब को हर युवा पढ़े। उक्त सलाह संत पाप ने " यूकैट " नामक किताब की प्रस्तावना में दी है।
विदित हो कि स्पेन के मैडरिड में होने वाले अगले विश्व दिवस की तैयारी के रूप में इग्नासियुस प्रेस ने युवाओं के लिये एक धर्मशिक्षा की किताब प्रकाशित करने की योजना बनायी है जिसका विमोचन 1 मार्च, 2011 में किया जायेगा।
स्थानीय समाचारपत्र ‘लोसेर्भातोरे रोमानो ने ‘यूकैट’ में छपी संत पापा द्वारा लिखी प्रस्तावना को प्रकाशित करते हुए लिखा है कि " संत पापा के अनुसार ‘यूकैट’ की शिक्षा तो महत्त्वपूर्ण है ही, पर इसकी प्रस्तुति भी आकर्षक है।
संत पापा ने कहा है कि यह किताब काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा पर आधारित है।
‘लोसेरभातोरे रोमानो’ के अनुसार संत पापा ने अपनी प्रस्तावना में उन चुनौतियों की चर्चा कि है जिनका सामना कलीसिया ने वाटिकन द्वितीय महासभा के बाद किया।
उन्होंने कहा है कि कई लोगों को यह मालूम भी नहीं था कि ईसाइयों को किन बातों पर विश्वास करना चाहिये और कैसे विश्वास को अपने स्थान के अनुरूप लागू किया जाना चाहिये।
उन्होंने बताया कि उन दिनों धर्मशिक्षा संबंधी किताब प्रकाशित करने के पीछे संत पापा जोन पौल द्वितीय की प्रेरणा का विशेष योगदान रहा है।
" यूकैट " नामक इस किताब के संपादन का दायित्व वियेन्ना के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल क्रिस्तोप शोनबोर्न को दिया गया था। विदित हो कि आम लोगों के लिये छापी गयी धर्मशिक्षा की किताब का संपादन कार्डिनल शोनबोर्न ने ही किया था।
संत पापा ने आशा व्यकत कि है कि युवा इस किताब से लाभान्वित होंगे। संत पापा ने कहा है कि " कई लोग कहते हैं कि युवा धर्मशिक्षा पर कोई रुचि नहीं है पर मैं इस पर विश्वास नहीं करता और मेरा ऐसा सोचना सही है।"
संत पापा ने कहा कि यह किताब आकर्षक है क्योंकि यह हमारे जीवन के लक्ष्य के बारे में चर्चा करता है। संत पापा ने युवाओं से कहा कि " उनकी हार्दिक इच्छा है कि युवा धर्मशिक्षा का अध्ययन करे।"
















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