पाकिस्तानः धर्माध्यक्षों ने धर्म को राज्य से अलग रखने का आह्वान किया
पाकिस्तान, 2 फरवरी 2011 (ऊका समाचार): पाकिस्तान की काथलिक कलीसिया तथा ग़ैरसरकारी मानवाधिकार
संगठनों ने सरकार का आह्वान किया है कि वह देश में बढ़ते चरमपंथ पर रोक लगाकर, नागरिकों
को "अन्तःकरण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" का आश्वासन दे।
काथलिक कलीसिया की
न्याय एवं शांति समिति द्वारा जारी एक वकतव्य में कहा गया, "हम लक्ष्य हत्याओं तथा पत्रकारों
पर न्यायिक फैसलों की निन्दा करते हैं। हम शस्त्रों एवं धर्मों के हस्तक्षेप के बिना
की गई राजनैतिक प्रक्रिया का समर्थन करते हैं। स्वस्थ समाज के निर्माण के लिये धर्म को
राज्य के मामलों से अलग रखा जाना अनिवार्य है।"
पाकिस्तानी काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन की न्याय एवं शांति समिति ने 31 जनवरी को लाहौर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया
था जिसमें देश में बढ़ते चरमपंथ तथा बिगड़ती आर्थिक व्यवस्था पर गहन विचार विमर्श किया
गया। विचार विमर्श में 500 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया जिन्हें शिक्षा, राजनीति,
अर्थ व्यवस्था तथा विज्ञान के अनेक विशेषज्ञों ने सम्बोधित किया। इनमें पाकिस्तान के
कई राजनीतिज्ञ भी सम्मिलित थे।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की पंजाब अध्यक्षा
हीना जिलानी ने कहा, "धार्मिक पार्टियाँ राजनैतिक लाभों के लिये रास्तों की शक्ति का
इस्तेमाल कर रहीं हैं। बिना किसी जाँच के उत्तेजक फतवे जारी किये जा रहे हैं तथा टेलेविज़न
एंकर प्रतिबंधित और अवैध धार्मिक संगठनों की राय को उजागर करने में अपनी प्रवीणता दिखा
रहे हैं।"
इस बीच, पाकिस्तानी काथलिक धर्माध्यक्षों द्वारा शांति और एकता हेतु
की गई अपील के बाद तीस जनवरी को सम्पूर्ण देश के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों ने प्रार्थना,
उपवास और पश्चाताप दिवस भी मनाया था।