2011-01-31 16:03:49

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 30 जनवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

पूजनधर्मविधि पंचांग के सामान्य काल के चौथे रविवार में, सुसमाचार पहले महान प्रवचन, आशीर्वचन को प्रस्तुत करता है जिसे प्रभु येसु ने लोगों को, गलीली के समुद्री तट पर स्थित सुंदर पहाड़ी पर सम्बोधित किया था, संत मत्ती लिखते हैं- जब प्रभु ने विशाल जनसमूह को देखा तो वे पहाड़ी पर चढ़े और वहाँ बैठ गये। उनके शिष्य उनके पास आये। येसु नये मूसा ने पर्वत रूपी सिंहासन पर अपना आसन ग्रहण किया और उन सबको धन्य घोषित किया जो विनम्र हैं, जो शोकित हैं, जो दयालु हैं, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, जिनका ह्दय निर्मल है, जो अत्याचार सहते हैं।

यह नयी विचारधारा नहीं है लेकिन शिक्षा है जो ऊपर से आती है और मानवीय परिस्थिति का स्पर्श करती है। प्रभु, देहधारण करने के बाद मुक्ति करने के लिए चुनते हैं। इस प्रकार, पर्वत प्रवचन सम्पूर्ण संसार को, वर्तमान और भविष्य को सम्बोधित है। इसे येसु का अनुसरण करते हुए और उनकी यात्रा में उनका साथ देते हुए ही समझा और जीया जा सकता है।

धन्यताएँ जीवन का नया प्रोग्राम है जो हमें संसार के झूठे मूल्यों से मुक्त करतीं और यथार्थ कल्याण, वर्तमान तथा भविष्य के लिए खोलती हैं। वस्तुतः जब ईश्वर सांत्वना देते हैं, न्याय की क्षुधा को शांत करते हैं, पीडि़तों के आंसू सुखाते हैं इसका अर्थ है कि भौतिक रूप से प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदान देते हुए स्वर्ग के राज्य को खोलते हैं। धन्यताएँ, शिष्य बनने में क्रूस और पुनरूत्थान के क्रमपरिवर्तन हैं। धन्यताएँ ईशपुत्र के जीवन को प्रतिबिम्बित करती हैं जो स्वयं को सताने की अनुमति प्रदान करते हैं, मृत्यु की सज़ा दिये जाने की हद तक उपेक्षित होते हैं ताकि मानव को मुक्ति प्राप्त हो सके।

एक वृद्ध सन्यासी कहते हैं - धन्यताएँ, ईश्वर का उपहार हैं और हमें उनके लिए तथा इनसे हमें जो लाभ मिलता है अर्थात दुनिया में स्वर्ग का राज्य आने और यहाँ सांत्वना मिलने, ईश्वर से आनेवाली हर दया और भलाई की परिपूर्णता के लिए धन्यवाद देना चाहिए जब हम पृथ्वी पर ईश्वर के प्रतिरूप बनते हैं। कलीसिया का अपना इतिहास, ख्रीस्तीय पवित्रता का इतिहास, धन्यताएँ के सुसमाचार पर टिप्पणी हैं जैसा कि प्रेरित संत पौलुस लिखते हैं- ज्ञानियों को लज्जित करने के लिए ईश्वर ने उन लोगों को चुना है जो दुनिया की दृष्टि में मूर्ख हैं। शक्तिशालियों को लज्जित करने के लिए उन लोगों को चुना है जो दुनिया की दृष्टि में दुर्बल हैं, तुच्छ और नगण्य हैं। इसलिए कलीसिया ऐसे समाज में गरीबी, उत्पीड़न और अत्याचार से भयभीत नहीं होती जो बहुधा भौतिक सुख सुविधाओं तथा दुनियावी ताकत की ओर आकर्षित होती है। संत अगुस्तीन हमें स्मरण कराते हैं कि इन बुराईयों को सहन करना लाभप्रद नहीं है लेकिन खुशीपूर्वक तथा शांत ह्दय से येसु के नाम में दृढृ बने रहना।

प्रिय भाईयो और बहनो प्रभु को खोजने तथा धन्यता के पथ पर खुशीपूर्वक सदैव उनका अनुसरण करने के लिए हम धन्यतम कुँवारी माता मरिया के संरक्षण की याचना करें और उनसे शक्ति माँगे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।.








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