संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का उदाहरण पुरोहितों के लिए नमूना बने
(रोम इटली सीएनए) इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष और जेनोवा के महाधर्माध्यक्ष
कार्डिनल आंजेलो बानयास्को ने कहा है कि पुरोहितों को आलोचना के भय से परे अपने मिशन
को पूरा करने के लिए संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के आदर्श का अनुकरण करना चाहिए। इटली
के धर्माध्यक्षों का सम्मेलन अंकोना में आयोजित किया गया था जिसका समापन 27 जनवरी को
हुआ। अंकोना शहर के कैथीड्रल में आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता करते हुए कार्डिनल
बान्यास्को ने प्रवचन करते हुए कहा कि यदि निराशावादी संस्कृति लोगों के आंतरिक जीवन
को समाप्त कर देने का प्रयास करती है तो पुरोहितों को चाहिए कि वे विश्वासियों को आशा
की पुर्नखोज करने के लिए सहायता करें। हमें संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के उदाहरण का अनुसरण
करना चाहिए जो हमें विनम्रता, सत्य के प्रतिस्पष्टता, संवाद करने की विवेकशीलता, कर्मनिष्ठा,
दुनिया के सामने स्वतंत्रता तथा ईश्वर के हाथ में होने की जानकारी से मिलनेवाले साहस
का पाठ सिखाते हैं। कार्डिनल बान्यास्को ने कहा कि पुरोहितों को बिना हिचकिचाहट आशा
बनाये रखने का कार्य करना है और यही आशा उन्हें न केवल काथलिक समुदाय की अपेक्षाओं को
पूरा करने के लिए समर्थ बनाती है लेकिन हमारी सीमाओं और कमजोरियों के बावजूद, सम्पूर्ण
समाज जो हमसे माँग करता है उसे पूरा करना है। हमारा आह्वान किया जाता है कि संसार की
सेवा में अपनी पुरोहिताई के प्रकाश को प्रस्तुत करें, जीवन के विभिन्न पहलूओं के साथ
इसे जोड़ें, दुःख और मृत्यु के रहस्य से जुड़े सतत सवालों का जवाब देने के लिए लोगों
को आलोकित करें, हमारे अस्तित्व के अर्थ और अनन्त नियति तथा इस ब्रहमांड और नैतिक भलाई
एवं बुराई के तर्कों का जवाब देने के लिए लोगों को आलोकित करें। कार्डिनल बान्यास्को
ने पुरोहितों से रूटीन जीवन के खिलाफ संघर्ष करने का आह्वान किया जो जीवन को अनाकर्षक
बनाता तथा वि्श्वास को कमजोर कर यूखरिस्तीय रहस्य के सामने आत्मा और अंतःकरण की जीवंतता
को कम कर देता है। उन्होंने सहयोगी पुरोहितों का आह्वान किया कि वे ईश्वर को दिये गये
अपने समर्पण का प्रतिदिन स्मरण करें जिन्होंने उन्हें अपनी दया से चुना और पुरोहिताई
का गौरव और जिम्मेदारी सौंपी है।