रोमः ख्रीस्तीयों के बीच एकता विषय पर निराशावाद विश्वास की कमी का परिचायक है, सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16वें
रोम स्थित सन्त पौल महागिरजाघर में, मंगलवार सन्ध्या, ख्रीस्तीय एकता हेतु आयोजित प्रार्थना
सप्ताह का समापन करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि विश्व के "ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों के बीच पूर्ण एकता" विषय पर निराशावाद विश्वास की कमी को दर्शाता है।
25 जनवरी को काथलिक कलीसिया सन्त पौल के मनपरिवर्तन का पर्व मनाती है। इसी के
उपलक्ष्य में प्रति वर्ष ख्रीस्तीयों के बीच एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह आयोजित किया
जाता है।
प्रार्थना सप्ताह के समापन पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने प्रभु ख्रीस्त
के अनुयायियों को आमंत्रित किया कि एकता की दिशा में वे आशापूर्वक आगे बढ़ते रहें क्योंकि
विगत दशक के ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक प्रयास फलप्रद रहे हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप
कई प्रश्नों पर सहमति पाई जा सकी है तथा समुदायों के बीच आपसी सम्मान एवं सहयोग को प्रश्रय
मिला है।
उन्होंने कहा, "हम इस बात के प्रति सचेत हैं कि हम उस एकता से बहुत
दूर हैं जिसके लिये प्रभु ख्रीस्त ने प्रार्थना की थी तथा जो जैरूसालेम के प्रथम ख्रीस्तीय
समुदाय में प्रतिबिम्बित होती है।"
सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित
कराया कि जिस एकता की कामना ख्रीस्त ने की है वह मात्र संरचनाओं के स्तर तक ही सीमित
नहीं बल्कि विश्वास तथा आराधना अर्चना के सामान्य समारोहों में उसे अभिव्यक्ति दी जाना
आवश्यक है।
उन्होंने कहा, "विभाजित ख्रीस्तीयों के बीच एकता की प्रतिष्ठापना
में हमारी खोज को केवल आपसी मतभेदों की स्वीकृति तथा शांतिपूर्ण सहअस्तित्व तक ही सीमित
नहीं किया जा सकता।" उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य उस एकता को हासिल करना है जिसके लिये
स्वयं प्रभु ख्रीस्त ने प्रार्थना की थी और जो अपनी प्रकृति द्वारा विश्वास की सहभागिता
में, संस्कारों में तथा प्रेरिताई में प्रकट होती है।
सन्त पापा ने कहा, "एकता
की दिशा में अग्रसर होना हमारा नैतिक दायित्व है, यह प्रभु की बुलाहट के प्रति हमारा
प्रत्युत्तर है।"
इस पृष्टभूमि में, सन्त पापा ने कहा कि उदासीनता एवं निराशावाद
के प्रलोभन में न पड़ा जाये बल्कि दृढ़तापूर्वक एकता के मार्ग पर आगे बढ़ा जाये।