भूबनेश्वरः उड़ीसा सरकार कानून बनाये रखने में विफल, ख्रीस्तीय हिंसा विरोधी जारी
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एन.एच.आर.सी. के अनुसार उड़ीसा में सन् 2008 की ख्रीस्तीय
विरोधी हिंसा के दो साल बाद भी ख्रीस्तीयों के विरुद्ध भेदभाव कम नहीं हो रहा है। अभी
भी ख्रीस्तीयों की हत्या की जा रही है, उनके विरुद्ध हिंसक आक्रमण जारी हैं तथा वे भेदभाव
के शिकार बनाये जा रहे हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एन.एच.आर.सी. के अध्यक्ष
के.जी. बालाकृष्णन ने उड़ीसा का दौरा कर कहा कि उड़ीसा की सरकार कानून बनाये रखने में
विफल प्रतीत हो रही है क्योंकि अभी भी ख्रीस्तीयों को हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है।
स्थानीय अधिकारियों से उन्होंने आग्रह किया कि वे विशेष रूप से, कान्धामाल ज़िले में
धार्मिक एवं जातिगत असहिष्णुता को रोकने के लिये कारगर उपाय करें।
कटक भूबनेश्वर
महाधर्मप्रान्त के सामाजिक सेवा निदेशक फादर अजय कुमार सिंह ने एशिया समाचार से कहा कि
उड़ीसा सरकार कान्धामाल में मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध बहुत कुछ कर सकती है।
उदाहरणार्थ वह उन परिवारों को मुआवज़ा दे सकती है जिन्होंने सन् 2008 के ख्रीस्तीय विरोधी
दंगों में अपने प्रिय जनों को खो दिया था।
दलित जाति के मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
आदिकन्दा सिंह ने हिन्दु चरमपंथियों की हिंसा को रोकने के लिये कड़े सुरक्षा उपायों का
सुझाव रखा और कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का आश्वासन देने में असमर्थ रही है।
उन्होंने कहा, "न्याय प्रणाली अपराधियों को दण्डित करने में विफल हुई है। इससे
यह स्पष्ट है कि राज्य अपने नागरिकों को समानता के आधार पर न्याय दिलाने में असमर्थ है।
ग़ौरतलब है कि सन् 2008 के हिंसक दंगों के बाद केवल कन्धामाल ज़िले से 50, 000
लोगों ने अन्यत्र पलायन कर लिया है।