2011-01-26 20:53:47

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
26 जनवरी, 2011


रोम,26 जनवरी, 2011 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम आर्क के संत जोआन के जीवन पर चिन्तन करें जो मध्यकाल की एक बहुत ही उत्कृष्ट महिलाओं में से एक थी।

उनका भरण-पोषण एक धर्मी परिवार में हुआ। उन्हें बचपन में ईश्वरीय कृपा की गहरी अनुभूति हुई थी। जब फ्रांस में युद्ध चल रहा था और चर्च संकट के दौर से होकर गुज़र रहा था तब उन्होंने यह अनुभव किया कि ईश्वर उन्हें प्रार्थना, पवित्रता और शुद्धता के जीवन के लिये बुला रहे हैं।

उन्होंने लगा कि ईश्वर ने उन्हें बुलाया है ताकि वे व्यक्तिगत रूप से अपने देशवासियों की मुक्ति के लिये अपना योगदान दे। 17 साल की आयु में जोआन ने फ्रांसीसी सेना के साथ अपना कार्य आरंभ किया।

उन्होंने यह प्रयास किया कि अंग्रेजी और फ्रांसीसी सेना के बीच एक ख्रीस्तीय शांति समझौता हो जाये। उन्होंने ओरलियन्यस के कब्ज़े और रिहम में हुए चार्ल्स सप्तम् के राज्याभिषेक समारोह में हिस्सा लिया।

बाद में दुश्मनों ने उसे पकड़ लिया और उसपर कलीसियाई अदालत में मुकदमा चला जिसने उसे विधर्मी करार दिया और उसे जला दिया गया।

संत जोआन ने येसु का नाम लेते हुए अपने प्राण त्याग दिये। ग़ौरतलब हो संत जोआन पर जो अन्यायपूर्ण मुकदमा चला था उसे 25 साल के बाद बदल दिया गया। संत जोआन की आध्यात्मिकता का सार था येसु में और येसु के प्रति गहरा प्यार, कलीसिया और पड़ोसियों के प्रति अपार प्रेम।

आर्क की संत जोआन की प्रार्थनायें और आर्दश हमें प्रेरित करे ताकि अनेक महिला और पुरुष लोकधर्मी अपने जीवन को ईश्वर और लोगों की सेवा के लिये सपर्पित करें और दूसरों को प्रेरित करें ताकि अन्य भी पूरे उत्साह से अपने ख्रीस्तीय बुलाहट को बखूबी जी सकें।




इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने हॉंन्गकॉंन्ग और अमेरिका के विद्यार्थियों, इंगलैंड के सेना के चैपलीनों तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।













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