नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय ने धर्मान्तरण पर अपनी टिप्पणी वापस ली
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने, ख्रीस्तीय नेताओं एवं मानवाधिकार संगठनों द्वारा व्यक्त
चिन्ता और विरोध के बाद धर्मान्तरण पर अपनी टिप्पणी को वापस ले लिया है।
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जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने, दारा सिंह को पादरी ग्राहेम स्टेन्स और उनके दो नाबालिक
पुत्रों की हत्या के लिये ज़िम्मेदार ठहराते हुए उसे उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। यह
हत्याएं 1999 में की गई थी। सज़ा का ऐलान करते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने यह टिप्पणी भी
जोड़ दी थी कि हत्यारे ने स्टेन्स और उनके पुत्रों की हत्या की जो आदिवासियों के धर्मान्तरण
हेतु धार्मिक गतिविधियों से जुड़े थे। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी की ख्रीस्तीय
नेताओं तथा मानवाधिकार संगठनों ने कड़़ी आलोचना की थी और कहा था कि इस टिप्पणी की ग़लत
व्याख्या कर कुछ लोग इसे ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के लिये लाईसेन्स मान सकते हैं। भारतीय
काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वर्ल्ड ग्रेशियस तथा बालासोर के
धर्माध्यक्ष थॉमस थिरूथालिल सहित अनेक काथलिक एवं प्रॉटेस्टेण्ट नेताओं ने न्यायालय की
टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी।
इन विरोधों के बाद 25 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय
ने धर्मान्तरण से जुड़ी अपनी टिपप्णी वापस ले ली है। सर्वोच्च न्यायालय में सेवारत काथलिक
वकील, सि. मेरी स्कारिया ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने "सुओ मोत्तो", उक्त फैसले
से उन शब्दों को हटा दिया है जो "असंवैधानिक" थे।