2011-01-25 12:38:56

मुम्बईः भारतीय ख्रीस्तीय नेताओं ने ग्राहेम स्टेन्स के हत्यारे पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी की निन्दा की


भारत के ख्रीस्तीय नेताओं ने ग्राहेम स्टेन्स के हत्यारे पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी की कड़ी निन्दा की है।

सन् 1999 में पादरी ग्राहेम स्टेन्स और उनके दो नाबालिक पुत्रों की हत्या के लिये प्रमुख आरोपी दारा सिंह को ज़िम्मेदार ठहराते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 21 जनवरी को उसे उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। किन्तु इस सज़ा के साथ ही न्यायलय ने धर्मान्तरण पर कुछ टिप्पणी इसमें जोड़ दी थी जिससे यह प्रतीत हुआ कि धर्मान्तरण के सिलसिले में साम्प्रादायिक हिंसा एवं ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा उचित है।

एशिया न्यूज़ से बातचीत में मुम्बई के कार्डिनल ऑसवर्ल्ड ग्रेशियस ने कहा कि एक ओर हत्यारे को प्राण दण्ड के बजाय उम्र क़ैद दिये जाने पर वे खुश हैं क्योंकि वे प्राण दण्ड के विरुद्ध हैं। दूसरी ओर वे अत्यधिक चिन्तित हैं क्योंकि न्यायालय की टिप्पणी की ग़लत व्याख्या कर कुछ लोग इसका फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि टिप्पणी का "इनटेन्ट" यानि "इरादा" शब्द चिन्ताजनक है और ख़तरनाक सिद्ध हो सकता है। कार्डिनल महोदय ने कहा कि ऐसा सम्भव है कि कुछ लोग इसे आक्रमण के लिये लाईसेन्स मान लें। एक अन्य व्याख्या यह हो सकती है कि संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को मिली धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करना आवश्यक नहीं है।

कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा कि सच तो यह है कि आँकड़े स्पष्टतः दर्शाते हैं कि ख्रीस्तीयों पर बलात धर्मान्तरण के आरोपों के बावजूद भारत में ख्रीस्तीयों की संख्या ज्यों कि त्यों है, उसमें कोई वृद्धि नहीं हुई है और यदि ग्राहेम स्टेन्स की बात की जाये तो वे तीस वर्षों तक उड़ीसा के कुष्ठ रोगियों का उपचार करते रहे थे तथा उनके प्रकरण में बलात धर्मान्तरण का कोई प्रमाण नहीं मिला है। कार्डिनल महोदय ने कहा कि विश्वास की दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म पालन एवं प्रचार का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता एक मानवाधिकार है जो मनुष्य को अपने धर्म की अभिव्यक्ति का पूर्ण अधिकार प्रदान करता है।

इस बीच, ऑल इन्डिया क्रिस्टियन काऊन्सल, द ग्लोबल काऊन्सल ऑफ इन्डियन क्रिस्टियन्स तथा नागर समाज के अनेक नेताओं ने सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी का खण्डण कर कहा है कि वे आशा करते हैं सरकार सर्वोच्च न्यायलय से इस प्रकार की अनावश्यक और असंवैधानिक टिप्पणी को मिटाने का आग्रह करेगी।







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